Friday, October 17, 2025

धार कॉलेज के डॉ. सागर सेन DESY, जर्मनी में करेंगे नैनो-संरचना का अध्ययन

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भोपाल : मध्यप्रदेश के धार जिले के महाराजा भोज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सागर सेन और उनके शोधार्थी विनय श्रीवास्तव को जर्मनी के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान DESY (Deutsches Elektronen-Synchrotron), हैम्बर्ग में Small Angle X-ray Scattering (SAXS) प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह प्रयोग 19 से 25 अक्टूबर 2025 के मध्य DESY, हैम्बर्ग (जर्मनी) में किया जाएगा।

डॉ. सेन के अनुसार इस तकनीक के माध्यम से वे नैनोस्ट्रक्चर्ड पतली परतों (nanostructured thin films) की सतही संरचना और इलेक्ट्रॉनिक गुणों का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार का अध्ययन स्पिन्ट्रॉनिक्स (Spintronics), ऊर्जा संचयन उपकरणों (बैटरी, कैपेसिटर), बायोटेक्नोलॉजी और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के विकास में सहायक होता है। SAXS तकनीक एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक विधि है, जिसमें पदार्थ पर छोटे कोण पर X-ray किरणें डाली जाती हैं और उनके प्रकीर्णन (scattering) का अध्ययन किया जाता है। इस तकनीक से पदार्थ की नैनोस्तरीय संरचना, कणों का आकार, वितरण, सतह की खुरदरापन तथा सूक्ष्म छिद्रों (pores) की जानकारी प्राप्त होती है। सरल शब्दों में यह तकनीक पदार्थ के भीतर की “नैनो दुनिया की तस्वीर” लेने जैसी है।

यह परियोजना भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा वित्तपोषित है। इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगों के लिए चयन अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक होता है, जिसमें विश्वभर के वैज्ञानिक भाग लेते हैं। केवल उच्चस्तरीय शोध प्रस्तावों और सक्षम शोधकर्ताओं को ही DESY जैसी विश्वप्रसिद्ध प्रयोगशालाओं में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। शोधार्थी विनय श्रीवास्तव, जो IUAC परियोजना के अंतर्गत कार्यरत हैं, इस प्रयोग में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व डॉ. सागर सेन ग्रीस और पोलैंड में भी नैनोटेक्नोलॉजी पर अपने व्याख्यान (lectures) दे चुके हैं। वर्तमान में डॉ. सागर सेन तीन प्रमुख शोध परियोजनाओं पर कार्यरत हैं, जिनमें से दो परियोजनाएँ मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (MPCST), भोपाल तथा इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (IUAC), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है। इन परियोजनाओं का फोकस नैनो संरचना, चुंबकीय पतली परतों (magnetic thin films) एवं आयन बीम विकिरण (ion beam irradiation) के माध्यम से सामग्री के गुणों के नियंत्रण पर केंद्रित है।

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