Tuesday, July 8, 2025

डॉक्टर्स हैं प्रोफेशनल, बंधुआ मजदूर नहीं: लौटाएं उनके शैक्षणिक दस्तावेज़

- Advertisement -

जबलपुर: मेडिकल पीजी कोर्स करने के बाद पांच साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने संबंधी बॉन्ड भरवाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. बॉन्ड की शर्त के अनुसार सेवा नहीं देने पर शैक्षणिक दस्तावेज लौटाने के एवज में पचास लाख रुपये जुर्माने के तौर में लिये जा रहे हैं. जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं के शैक्षणिक दस्तावेज तत्काल लौटाने के आदेश जारी किए हैं. अंतिम निर्णय याचिका के अधीन रहेगा.

 

डॉ. वैभव दुआ, पुष्पेन्द्र सिंह तथा पुलकित शर्मा की तरफ से दायर की गई थी याचिका

चिरायु मेडिकल कॉलेज से मेडिकल पीजी कोर्स करने वाले डॉ. वैभव दुआ, पुष्पेन्द्र सिंह तथा पुलकित शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि एमबीबीएस में दाखिला लेने पर कोर्स पूरा करने के बाद एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने का बॉन्ड भरवाया जाता है. वहीं मेडिकल पीजी में दाखिला लेने पर पांच साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देना का बॉन्ड भरवाया जाता है. बॉन्ड की शर्त पूरी नहीं करने के एवज में प्रदेश सरकार द्वारा पचास लाख रुपये जुर्माने के तौर पर लिए जाते हैं. जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर शैक्षणिक दस्तावेज नहीं लौटाये जाते हैं.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि याचिकाकर्ता को चिरायु मेडिकल कॉलेज में साल 2022 में मेडिकल पीजी सीट में दाखिला मिला था. दो साल का कोर्स पूरा करने बाद उन्हें 9 माह बाद नौकरी प्रदान की गई. एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने से लेकर पीजी कोर्स करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के दौरान ही छात्र की आयु 35 साल से अधिक हो जाती है. इसके बाद वह स्पेशलिस्ट व सुपर स्पेशलिस्ट का कोर्स करता है तो उसकी आयु 40 साल से अधिक हो जाती है. इस प्रकार छात्र की आधी से अधिक आयु शैक्षणिक काल में गुजर जाती है.कोर्ट में उन्होंने आगे कहा रूरल एरिया बॉन्ड के संबंध में लोकसभा में प्रश्न उठा था. लोकसभा के आदेश पर नेशनल मेडिकल कमीशन ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर रूरल बॉन्ड को औचित्यहीन बताया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि डॉक्टरों से बंधुआ मजदूरों की तरह से काम नहीं लिया जा सकता है. एनएमसी ने इस संबंध में नेशनल टास्ट फोर्स का गठन किया था. टास्ट फोर्स की रिपोर्ट के अनुसार बॉन्ड के कारण छात्र डिप्रेशन में जाकर आत्महत्या करते हैं.याचिकाकर्ता वैभव दुआ ईडब्ल्यूएस वर्ग का छात्र है. लोन लेकर पढ़ाई कर रहा है और उसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 50 लाख रुपये जुर्माने की तौर पर जमा कर सके. मजबूरन पांच साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के कारण आगे की पढ़ाई प्रभावित होगी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के शैक्षणिक दस्तावेज तत्काल लौटाने के आदेश जारी किए हैं.

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news