छतरपुर: बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सड़कों पर घूम रहे गोवंश को लेकर कहा "यह बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश और हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. जिसको हम मां कहते हैं, वह सड़कों पर है. गायें सड़कों पर हैं तो बड़ा कष्ट होता है. अगर देश में कोई जल्दी कदम नहीं उठाया जाएगा तो और घटनाएं भी बढ़ती जाएंगी. इसलिए हमें लगता है भारत सरकार को विशेष कर मध्य प्रदेश सरकार को कोई काम करना चाहिए."
बाबा बागेश्वर ने कहा "गायों के लिए तत्काल अभ्यारण्य योजना लागू करके हर ब्लॉक या हर जिले में ऐसी 5-5 गौशालाएं बनवाई जाएं, जिनमें 5 से 10 हजार गोवंश रखने का प्रावधान हो. ऐसा हुआ तो हर जिले में 40-50 हजार गौ माता सड़कों से हटकर अभ्यारण्य में व्यवस्थित हो जाएंगी."
छतरपुर की 75 साल पुरानी रामलीला देखने पहुंचे
छतरपुर जिले की 75 साल पुरानी रामलीला देखने के लिए श्रीअन्नपूर्णा रामलीला के मंच पर बााबा बागेश्वर पहुंचे. इसी अवसर पर वह संबोधित रहे थे. श्री अन्नपूर्णा रामलीला अपना 75वां अमृत महोत्सव मना रही है. बाबा बागेश्वर ने रामलीला के मंच पर पहुंचकर सबसे पहले भगवान की आरती की. इसके बाद राष्ट्रगान गाया. बाबा बागेश्वर ने कहा "राष्टगान की परंपरा अच्छी है, हर मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में राष्ट्रगान बजना चाहिए. धर्मभक्ति के साथ देशभक्ति भी होनी चाहिये. सप्ताह में कम से कम एक बार तो बजाना ही चाहिए ताकि राष्ट्र के प्रति कर्तव्य के लिए हम एकजुट रहें."
सेल्फी लेने वाले युवाओ को दी नसीहत
बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने युवाओं में जोश भरते हुए कहा "किसी भी बड़ी हस्ती के साथ सेल्फी लेने के लिए परेशान नहीं हुआ करें. किसी भी सेलिब्रिटी के आगे-पीछे दौड़ने में कुछ नहीं रखा. ये भागदौड़ कभी खत्म नहीं होगी, अगर अपने विचारों को नहीं बदला तो. युवाओं में ऊर्जा का भंडार है. अगर वे चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं. ऐसे काम करो, खुद को इतना बड़ा बनाओ कि लोग आपके साथ सेल्फी लेने के लिए घूमें."
बाबा बागेश्वर ने बचपन की यादें ताजा की
छतरपुर की पुरानी गल्ला मंडी स्थित रामलीला मैदान में बाबा बागेश्वर जब रामलीला देखने पहुंचे तो उन्होंने मंच से अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा "हम भी छतरपुर की इन्हीं गालियों में घूमे हैं. चौक बाजार हमने सालों बाद देखा है. चौक बाजार पर खूब चाट-फुल्की खाई. दीवाली पर पटाखे इसी चौक बाजार से लेने आते थे. पूरी दुनिया बदल गई लेकिन मेरा चौक बाजार नहीं बदला."
"मेरा सौभाग्य है कि मैं छतरपुर में पैदा हुआ. छतरपुर जिले में जटाशंकर सा केदारनाथ है. खजुराहो सी अद्भुतता है, कुड़नताल बाबा का चमत्कार है. बागेश्वर हनुमान जी की लीला हो रही है. छत्रसाल की नगरी है. छतरपुर का उपकार मेरे ऊपर बहुत है. अगर मेरा जन्म किसी और जिला में होता तो शायद हम ये सब ना पा पाते, जो पाया है."
धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा "कुछ धर्म विरोधी ताकतें छतरपुर में भी रहती हैं. कभी हमारा छतरपुर जातिवाद के नाम पर सुलगने लगता है. कभी धर्म-मजहब के नाम पर सुलगने लगता, लेकिन दो-तीन कार्यक्रम छतरपुर के ऐसे हैं कि विरोधियों की छाती पर चना नचते हैं. उनमें रामनवमी की शोभायात्रा और अन्यपूर्णा रामलीला है."