MP News: आयुर्वेदिक दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. ग्वालियर की लैब में जांच के लिए भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसमें सात तरह की आयुर्वेदिक औषधियां जांच में फेल हो गई हैं. ये सैंपल छिंदवाड़ा जिले से लिए गए थे, जबकि जबलपुर जिले में भी इन दवाइयों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है. छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत के बाद यह व्यापक जांच शुरू की गई थी. अब सभी आयुर्वेदिक दवा दुकानों से सैंपल लिए जा रहे हैं और उनकी गुणवत्ता जांची जा रही है.
जांच में फेल हुई दवाएं
जांच में फेल हुई दवाओं में गिलोय सत्व शामिल है, जिसे शर्मायु जेनुइन आयुर्वेद श्री शर्मा आयुर्वेद मंदिर, सिविल लाइन दतिया द्वारा बनाया गया है और इसका बैच नम्बर 005P-1 है.कामदुधा रस, जिसे शर्मायु जेनुइन आयुर्वेद दतिया ने तैयार किया है, उसका बैच नम्बर 25117002P-1 है. प्रवाल पिष्टी भी फेल पाई गई है, जिसे यूनिट-2 श्री धनवंतरी हर्बल, हिमाचल प्रदेश ने बनाया है और इसका बैच नम्बर PPMB-077 है. इसी तरह मुक्ता शुक्ति भस्म, जो यूनिट-2 श्री धन्वंतरी हर्बल, हिमाचल प्रदेश की है, उसका बैच नम्बर MSBB-059 है.
डाबर इंडिया की दो दवाएं भी फेल
जांच के दौरान डाबर इंडिया लिमिटेड, गाजियाबाद की दो औषधियां भी मानकों पर खरी नहीं उतरीं. इनमें लक्ष्मी विलास रस (बैच नम्बर SB00665) और कफकुठार रस (बैच नम्बर SB00066) शामिल हैं. इसके अलावा शिवायु आयुर्वेद लिमिटेड, औरंगाबाद द्वारा निर्मित कासामृत सिरप भी फेल पाया गया है, जिसका बैच नम्बर KMSL-2501 है. इस मामले में जांच एजेंसियां अब दवाओं के सही प्रयोग और लैब जांच को गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रदेश में आयुर्वेदिक दवाइयों के सैंपल एकत्र कर रही हैं ताकि किसी भी तरह की लापरवाही को रोका जा सके.

