LS Speaker Election History : देश की 18वीं लोकसभा में सभापति के पद के लिए पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है औऱ आजाद भारत के इतिहास में पिछले 72 सालों में ये तीसरा मौका है, जब लोकसभा के स्पीकर पद के लिए चुनाव होने जा रहा है.आमतौर पर ये परंपरा रही है कि लोकसभा का सभापति आम सहमति से बनाया जाता है, ताकि सदन चलाते हुए पक्ष और विपक्ष दोनों का भरोसा सभापति पर रहे.
LS Speaker Election History: स्पीकर के लिए कब-कब हुआ चुनाव ?
अब से पहले 1952 और 1974 में स्पीकर के पद के लिए चुनाव हुए हैं. पहली बार 1952 में शंकर शांताराम और जीवी मालवणकर के बीच मुकाबला हुआ था. फिर 1976 में जब देश मेंं आपात काल चल रहा था, उस समय भी लोकसभा के सभापति के लिए चुनाव हुआ था. 1976 में जगन्नाथ राव और बालीग्राम भगत बीच मुकाबला हुआ था. आजाद भारत में ये तीसरा मौका है जब पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति ना हो पाने के कारण चुनाव होना तय हो गया है.
पक्ष विपक्ष मे सहमति की कोशिश का नहीं निकल कोई हल
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहसति बनान के लिए राजनात सिंह ने विपक्षी दलों के नेता मल्लिकार्जुन खरगे. ममता बैनर्जी और एम के स्टालिन से बात की, विपक्ष ने नियम के मुताबिक डिप्टी स्पीकर विपक्ष से बनान की मांग रखी. कांग्रेस का आरोप हृं कि सत्ता पक्ष ने नियम के मुताबिक मांगी गई उनकी मांग का जवाब नहीं दिया.
एनडीए से ओम बिरला और कांग्रेस से के सुरेश ने किया नामांकन
लोकसभा सभापति के पद के लिए एनडीए की तरफ से पूर्व लोकसभा स्पीकर रहे ओम बिरला ने नामांकन किया है वहीं इंडिया ब्लॉक की तरफ से कांग्रेस ने के केरल से 7 बार के सांसद रहे के सुरेश को मैदान में उतारा है और इसके साथ ही ये तय हो गया है कि सभापति का फैसला अब मतदान से ही होगा.इस के लिए 26 जून यानी बुधवार को लोकसभा में मतदान होगा.
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