सोमवार से शुरु हो रहे 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले ही पक्ष और विपक्ष में तलवारें खिंच गई है. आठ बार के सांसद सुरेश की अनदेखी कर भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने को लेकर बहस छिड़ गई. एक तरफ जहां संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है वहीं विपक्ष ने सदन में अध्यक्षों की समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
भर्तृहरि महताब को राष्ट्रपति ने किया प्रोटेम स्पीकर नियुक्त
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी नेता और सात बार के सदस्य भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. भर्तृहरि महताब पर 18वीं संसद के पहले सत्र के तीन दिन कार्यवाही चलाने की जिम्मेदारी होगी. वह लोकसभा के नव-निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के साथ ही अध्यक्ष के चुनाव की अध्यक्षता भी करेंगे.
राष्ट्रपति ने भर्तृहरि महताब के अलावा पांच वरिष्ठ सदस्यों – के सुरेश, टी आर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को भी नामित किया था, जो 24 जून से शुरू होने वाले लोकसभा सत्र के पहले तीन दिनों में होने वाली प्रक्रिया में महताब की सहायता करेंगे.
विपक्ष के आरोपों को संसदीय कार्यमंत्री ने किया खारिज
बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब प्रोटेम स्पीकर बनाने से विपक्ष नाराज़ है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने प्रक्रियाओं और परंपराओं का उल्लंघन किया है तथा आठ बार के सदस्य सुरेश के प्रोटेम स्पीकर के पद के अधिकार की अनदेखी की है. हलांकि कांग्रेस के इस आरोप को संसदीय कार्यमंत्री रिजिजू ने “भ्रामक” बताते हुए खारिज कर दिया.
रिजिजू ने दावा किया कि महताब सदन में सबसे वरिष्ठ हैं क्योंकि वे लगातार सात बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं, जबकि सुरेश आठ बार के सदस्य होने के बावजूद 1998 और 2004 में सदस्य नहीं थे.
वहीं, सुरेश ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर के पद के लिए उनके दावे को नजरअंदाज कर दिया गया क्योंकि वे दलित समुदाय से हैं, इस टिप्पणी का रिजिजू ने मजाक उड़ाया था. इसके जवाब में बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर के मुद्दे पर झूठ बोलकर जानबूझकर एक “आदिवासी” संसदीय कार्य मंत्री का अपमान किया है.
विपक्षी सदस्य नहीं करेंगे प्रोटेम स्पीकर महताब की मदद
शनिवार को विपक्षी सूत्रों ने कहा कि सुरेश, बालू और बंद्योपाध्याय लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर महताब की सहायता करने के लिए अध्यक्षों के पैनल में शामिल नहीं हो सकते हैं.
शिवसेना और सीपीआई ने भी जताया भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने का विरोध
वैसे सिर्फ कांग्रेस ही नहीं शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने एक्स पर एक पोस्ट कर कहा, “मैंने पहले भी कहा है और अब भी कहता हूं, हमारे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.”
वहीं सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली हार और उसके सदस्यों में आई कमी के बाद भी वो देश के लिए लोकतंत्र, परामर्श, संसदीय मानदंडों और विपक्ष के मौलिक महत्व को नहीं समझ पाई हैं. राजा ने कहा, “इस संसद में के सुरेश सबसे वरिष्ठ सांसद हैं. उन्हें यह अवसर दिया जा सकता था. भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने ओडिशा से एक और सदस्य को क्यों चुना? यह सभी को पता है. यह राजनीतिक सोच है.”
यानी साफ है सोमवार से ही 18वीं लोकसभा का पहला सत्र हंगामें दार रहने वाला है. एक तरफ बीजेपी विपक्ष को सुनने तैयार नहीं है तो इस बार विपक्ष भी अपनी बढ़ी ताकत का दम दिखाने को बेकरार है.
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