Mahua Moitra: TMC नेता और पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन करने के मामले में लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. लोकसभा महासचिव ने दाखिल हलफनामा में कहा कि महुआ मोइत्रा की याचिका ‘‘सुनने के योग्य नहीं’’ है.
दरअसल, अदालत ने मोइत्रा के निष्कासन को चुनौती देने वाली याचिका पर लोकसभा महासचिव से 3 जनवरी को जवाब मांगा था. अदालत ने प्रतिवादी को नोटिस भेजने से भी मना कर दिया था. मोइत्रा ने अपनी याचिका में लोकसभा अध्यक्ष और सदन की आचार समिति दोनों को प्रतिवादी बनाया था.
लोकसभा महासचिव ने हाल ही में मोइत्रा की याचिका का विरोध किया और कहा कि लोकसभा से निष्कासित होने के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 122 के मुताबिक संसद को पहली बार में न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अपने आंतरिक कार्यों और शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है. इस मामले में कानून या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है. उन्होने आगे कहा कि संसद और उसके घटकों की कार्यवाही पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है.
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लोकसभा महासचिव ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद माना है कि संसद के फैसले पर दोबारा जांच नहीं की जा सकती कि लगाए गए आरोप के लिए संबंधित सदस्य को निष्कासित करना उचित था या नहीं. संसद के पास अपने कामकाज और प्रक्रियाओं को करने का विशेष अधिकार है और वह कोर्ट के लिए जवाबदेह नहीं है. लोकसभा सचिवालय ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने लोकसभा पोर्टल का एक्सेस लॉगिन और ओटीपी को 47 बार शेयर करने के लिए मोइत्रा के निष्कासन को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि ये अनैतिक था और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता था.
आपको बता दें कि, लोकसभा सचिवालय ने कुल मिलाकर TMC नेता के निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में महुआ की याचिका का विरोध किया है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि याचिका पर सुनवाई छह मई को होगी.