सुप्रीम कोर्ट ने 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़ितों और आरोपियों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है. कोर्ट ने पूछा आखिर आशीष मिश्रा को कब तक जेल में रखा जा सकता है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने अपने रजिस्ट्रार को निर्देश दिए की वो लखीमपुर खीरी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संपर्क करें. कोर्ट ने कहा कि उनसे ये पूछा जाए की आखिर इस मामले की सुनवाई पूरी होने में कितना समय लगेगा. आपको याद दिला दें आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे है.
सुनवाई के दौरान जज ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से पूछा कि ये बताए आखिर कितने समय तक किसी को जेल में रखा जाना चाहिए, पीड़ित के भी अधिकार हैं, आरोपी के भी कुछ अधिकार हैं.हलांकि उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आशीष पर एक गंभीर अपराध है और घटना स्थल पर मिश्रा की उपस्थिति के बारे में घायल चश्मदीदों के बयान हैं.
इसका विरोध करते हुए आशीष के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल घटना स्थल पर मौजूद नहीं था.
वहीं पीड़ित परिवारों का वकील की दलील थी कि जब हत्या के मामलों में निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इनकार कर दिया हो तो ऐसे मामलों में शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
आशीष मिश्रा पर है किसानों को गाड़ी से कुचलने का आरोप
आपको बता दें पिछले साल 3 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में मंत्री टेनी के घर की गाड़ी से किसानों को कुचलने की घटना हुई थी. मामले की शुरुआती लीपा-पोती के बाद पुलिस को आशीष मिश्रा को तब गिरफ्तार करना पड़ा था जब कुचले जाने की घटना का वीडियो सामने आया था. इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे. मिश्रा को पिछले साल 9 अक्तूबर को मामले में गिरफ्तार किया गया था.
जिसके बाद एक बार उसको जमानत भी मिली लेकिन घटना के शिकार किसानों के परिवार के सदस्य मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध कर रहे हैं. जिसके चलते उसे फिर जेल जाना पड़ा था.