रायपुर, 27 अक्टूबर 2024 । मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय प्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं। जिला मुख्यालय जशपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुनकुरी विकासखंड में ग्राम बोडाटांगरी को शासकीय टसर विस्तार केन्द्र वर्ष-2001-02 स्थापित किया गया है। रेशम विभाग के द्वारा शासकीय टसर विस्तार केन्द्र बोडाटांगरी अन्तर्गत 20 हेक्टयर वनभूमि में साजा, अर्जुना पौधरोपण कराया गया है। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इसी ग्राम के 20 हितग्राही टसर कीट पालन कर अपना स्थिति सुधार कर अच्छा आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। इसके तहत जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में ग्राम बोड़ाटोगरी के निवासी श्रीमती बसंती मिंज Basanti Minj द्वारा कोसा पालन कार्य किया जाता है।
Basanti Minj रेशम विभाग से जुड़कर लाभ कमा रही हैं
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोसा उत्पादन कार्य में सतुष्ट है एवं गरीब परिस्थिति व पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाते थे छोटी-मोटी जरूरतों पर दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था, कृषि भूमि भी कम होने के कारण अनाज का भी उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाता था। परन्तु रेशम विभाग से जुड़कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबुत हो गई है खेती किसानी के अलावा अतिरिक्त आय अर्जित कर पाते हैं। बंसती Basanti Minj ने बताया कि उनकी वार्षिक आय लगभग 01 लाख तक हो जाती है। जिससे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिला रहे तथा अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा कर पा रही है।
स्वरोजगार का माध्यम बना रेशम विभाग
उन्होने बताया कि रेशम विभाग अधिकारी द्वारा रोजगार हेतु अथक प्रयास कर उन्नत किस्म के स्व.डिम्ब समूह प्रदाय करते है। ताकि हमारी आमदनी अधिक से अधिक हो तथा आर्थिक स्थिति पर सुधार हो सके और जिस प्रकार से विभाग की पहल से हमारे जैसे दूरवर्ती क्षेत्र में बसे लोगों तक शासन का योजना का लाभ पहुंचा रहे हैं निश्चित तौर पर आने वाले पीढ़ियों को रोजगार हेतु किसी अन्यत्र राज्य में पलायन नहीं करना पडे़गा। स्वरोजगार का माध्यम रेशम विभाग से बेहतर कोई नही होगा।
सहायक संचालक रेशम जशपुर ने बताया कि जिले के सभी कोसा कृमिपालक को अच्छी आमदनी हो सके इसके लिए विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किया जाता है। इसके लिए अन्य राज्यों से अण्डे मंगाकर वितरण किया गया है। वर्तमान में इस पहल से जिले के सभी कृमिपालकों को अच्छी उन्नत कोसा बीज अन्य राज्यों से मंगाकर लगभग 1 लाख डीएफएल्स वितरण कराया गया है। जिससे लगभग 60-70 लाख कोसा उत्पादन होने की सम्भावना है।