संसद के विशेष सत्र से लेकर जी-20 के आमंत्रण पत्र पर देश के लिए इंडिया की जगह भारत के इस्तेमाल को लेकर जो बहस शुरु हुई थी अब वो बच्चों की किताबों तक पहुंच गई है.
स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की गठित सामाजिक विज्ञान की एक उच्च-स्तरीय समिति ने पाठ्य पुस्तकों (Text books) में ‘इंडिया’ नाम को ‘भारत’ से बदलने और प्राचीन इतिहास की जगह ‘शास्त्रीय इतिहास’ शुरू करने की सिफारिश की है.
पाठ्यक्रम के बदलाव के लिए 2021 में बनाई गई थी 25 समितियां
2021 में एनसीईआरटी द्वारा गठित 25 समितियों में से एक, सीआई इस्साक की अध्यक्षता वाली इस समिति ने बुधवार को पाठ्य पुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’ के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को पढ़ाने की सिफारिश की है.
आपको बता दें सात सदस्यीयों वाली इस समिति ने सर्वसम्मत से ये सिफारिश की है. कमेटी के अध्यक्ष इस्साक जो भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) के सदस्य भी हैं ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कहा कि, कमेटी के सामाजिक विज्ञान पर बनाए पेपर में जो सिफारिश की है वो नई एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों के बदलाव की नींव रखने के लिए एक प्रमुख निर्देशात्मक दस्तावेज होगी.
पाठ्य पुस्तकों में अब इंडिया की जगह होगा भारत
कमेटी ने इंडिया को भरात से बदलने की सिफारिश की है. कमेटी का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 1(1) में पहले से ही कहा गया है कि “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा”.
उन्होंने कहा, भारत एक सदियों पुराना नाम है. भारत नाम का उपयोग विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो 7,000 साल पुराना है.
उन्होंने कहा, “इंडिया शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना और 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद ही किया जाने लगा.” इस्साक ने कहा, इसलिए, समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों में ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
G20 के दौरान पहली बार इंडिया की जगह भारत ने ली थी
आपको याद होगा, भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर तब सामने आया था जब राष्ट्रपति की ओर से आयोजित G20 डिनर के आमंत्रण पत्र पर अंग्रेजी में भी ‘इंडिया के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ लिखा गया था.
इसके अलावा नई दिल्ली में जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेमप्लेट पर भी इंडिया की जगह ‘भारत’ लिखा हुआ था.
अब प्राचीन काल की जगह पढ़ाया जाएगा शास्त्रीय काल
कमेटी के अध्यक्ष इस्साक ने बताया कि, स्कूल में पढ़ाए जाने वाले इतिहास में भी बदलाव करने की सिफारिश की गई है. उन्होंने कहा अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों में विभाजित किया – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक जिसमें भारत को अंधकार में दिखाया गया, वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया. उन्होंने कहा, हालाँकि, उस युग में भारत की उपलब्धियों के कई उदाहरणों में आर्य भट्ट का सौर मंडल मॉडल पर काम शामिल है.
इस्साक ने कहा, “इसलिए, हमने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्यकालीन और आधुनिक काल के साथ स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.”
“हिंदू जीत” को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा
उन्होंने कहा कि समिति ने पाठ्य पुस्तकों में “हिंदू जीत” को उजागर करने की भी सिफारिश की है.
“हमारी विफलताओं का उल्लेख वर्तमान में पाठ्य पुस्तकों में किया गया है. लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का उल्लेख नहीं किया गया है,” इसके अलावा, समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को शामिल करने की भी सिफारिश की है.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बनाया जा रहा है पाठ्यक्रम
आपको बता दें, एनसीईआरटी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप स्कूल पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने का काम कर रही है. परिषद ने हाल ही में 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति (NSTC) का गठन किया है. ताकी पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप दिया जा सके.
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