अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने घाटी में अमन की जो उम्मीद जगाई थी,वो खोखली साबित होती दिखाई दे रही है. आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद ऐसा लगने लगा था कि कश्मीर के अंदरुनी हालात सुधर रहे हैं, चुनाव की आहट और रिकॉर्ड संख्या में पर्यटकों की आमद ने एक नई रौशनी दी थी लेकिन यही अमन शायद कुछ लोगों की आंखों की किरकरी बन गई और कश्मीर में टारगेट किलिंग में तेजी आ गई है.

यहां तक कि अब आतंकवादी अन्य राज्यों से यहां कर बसने वालों के लिए चेतावनियां भी जारी रहे हैं. कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स के प्रवक्ता वसीम मीर ने बयान जारी करते हुए कहा कि “जिस तरह बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या की गई है, उसी तरह उन सभी को मार दिया जाएगा जो कश्मीर के डोमिसाइल में बदलाव करने की कोशिश करेंगे..यहां बसने की कोशिश करेंगे”

2021 के अक्टूबर महीने में श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के केमिस्ट और कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंद्रू की हत्या की गई थी.आतंकवादियों ने उन्हें मेडिकल शॉप में घुसकर मारा था. बिंद्रू उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर हमले होने के बाद भी कश्मीर नहीं छोड़ा था.2021 अक्टूबर से लकर अब तक 37 कश्मीर हिंदुओं की हत्या हो चुकी है.

अल्पसंख्यक हिंदु वहां से पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं.ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर वो कौन सी कमी है जिसके कारण कश्मीर में एक बार फिर से अविश्वास का दौर शुरु हो गया है

जानकारी के मुताबिक घाटी में तकरीबन 800 पुश्तैनी हिंदू और कश्मीरी पंडितों के परिवार हैं.इसके अलावा बाहर से आकर यहां काम करने वाले साढे तीन हजार से ज्यादा हिंदू हैं.यूपीए सरकार ने 2009 में पैकेज दिया इसके बाद  तकरीबन 4000 लोग घाटी में आए थे. अगर अभी की बात करें तो लगभग 10 हजार हिंदू और कश्मीरी पंडित घाटी में रह रहे हैं. जाहिर है ये लोग आतंकियों के निशाने पर हैं और अब इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मोदी सरकार पर है।

जानकार बताते हैं कि जब से घाटी में चुनाव की चर्चाएं शुरु हुई है तब से इन हमलों में तेजी आई है.जैसे जैसे राज्य में चुनाव की तैयारियां बढी है, हमलों में भी तेजी आई है. जाहिर है आतंकवादी दहशत फैला कर चुनाव प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं.

इस के साथ ही एक और तथ्य है, फिल्म ‘ द कश्मीर फाइल्स’ के द्वारा जिस हिंदु सेंटिमेंट को जगाने की कोशिश की गई उसने आग में घी डालने का काम किया है. जिस तरह से ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के जरिये कश्मीरी पंडितों के कंधे पर रख तक तीर चलाये गये उसने उल्टा ही असर कर दिया.फिल्म बनाने वाले तो कश्मीरी पंडितों के नाम पर 300 करोड़ कमाकर विदेशों में घूम रहे हैं लेकिन यहां घाटी में जो माहौल बिगड़ा है,उसकी भरपाई ये बेकसूर कश्मीरी हिंदू और सरकारी कर्मचारी कर रहे हैं.

कश्मीर में उपजे हालात के बाद चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठकों का दौर जारी है लेकिन तेजी से बदलते हालात को देखते हुए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे, नहीं तो अनुच्छेद 370 हटने के बाद जो बदलाव की आहट दिख रही थी, उसके खत्म होने में ज्यादा देर नहीं लगने वाली है.