Thursday, December 19, 2024

Kanwar Yatra: मुजफ्फरनगर पुलिस के ठेलों पर मालिक का नाम लिखने वाले आदेश पर सरकार चुप, विपक्ष ने कहा-सौहार्दपूर्ण वातावरण बिगाड़ने की कोशिश

Kanwar Yatra: मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे लगने वाले ठेलों सहित सभी भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने की चौतरफा आलोचना हो रही है. समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और बीएसपी तक ने इस आदेश को प्रदेश में सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ने वाला बताया है. वहीं अपनी बात खुलकर करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ इस मामले पर खामोश हैं.

Kanwar Yatra: ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं-अखिलेश यादव

मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को सामाजिक अपराध बताते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, “… और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जाँच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं.”

क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल भात बन जाता है?-पवन खेड़ा

वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा. यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम. जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या ख़रीदेगा? जब इस बात का विरोध किया गया तो कहते हैं कि जब ढाबों के बोर्ड पर हलाल लिखा जाता है तब तो आप विरोध नहीं करते. इसका जवाब यह है कि जब किसी होटल के बोर्ड पर शुद्ध शाकाहारी भी लिखा होता है तब भी हम होटल के मालिक, रसोइये, वेटर का नाम नहीं पूछते. किसी रेहड़ी या ढाबे पर शुद्ध शाकाहारी, झटका, हलाल या कोशर लिखा होने से खाने वाले को अपनी पसंद का भोजन चुनने में सहायता मिलती है. लेकिन ढाबा मालिक का नाम लिखने से किसे क्या लाभ होगा? भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं. क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल भात बन जाता है? ठीक वैसे ही क्या किसी अल्ताफ़ या रशीद द्वारा बेचे गए आम अमरूद गोश्त तो नहीं बन जाएँगे.“

यह आदेश सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है-मायावती

वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश की आलोचना की है. उन्होंने एक के बाद एक किए दो पोस्ट में लिखा, “पश्चिमी यूपी व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा रूट में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश यह गलत परम्परा है जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है. जनहित में सरकार इसे तुरन्त वापस ले. “
इसके साथ ही उन्होंने कहा, “इसी प्रकार, यूपी के संभल जिला प्रशासन द्वारा बेसिक सरकारी स्कूलों में शिक्षक व छात्रों को कक्षा में जूते-चप्पल उतार कर जाने का यह अनुचित आदेश भी काफी चर्चा में है. इस मामले में भी सरकार तुरन्त ध्यान दे.“

यूपी सरकार और बीजेपी की ओर से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया

मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश की चौतरफा आलोचना हो रही है. प्रदेश की सभी पार्टियों ने इस आदेश पर आपत्ति भी दर्ज करा दी है लेकिन न मुख्यमंत्री और न ही उनकी सरकार के किसी मंत्री या पार्टी के किसी नेता ने इस आदेश पर बयान दिया है. ऐसा लगता है कि मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का समर्थन कर योगी सरकार खुद को किसी नए विवाद में फंसाना नहीं चाहती न ही इसका विरोध कर वो अपने हिंदुत्व के नाम पर वोट देने वाले वोटरों को नाराज़ करना चाहती है.

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