Kanwar Yatra Controversy: शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे. यह निर्णय मुजफ्फरनगर पुलिस के विपक्ष के विरोध के बाद इसी तरह के आदेश को पलटने के बाद लिया गया है. नए निर्देश के अनुसार, हर खाद्य दुकान या ठेले के मालिक को एक बोर्ड पर मालिक का नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करना आवश्यक है.
उत्तराखंड ने भी जारी किया नाम लिखने का आदेश
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने कांवड़ यात्रा 2024 की तैयारियों और नाम लिखने के निर्देश को लेकर कहा, “कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों में मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है. हम कांवड़ मार्ग पर स्थित रेस्टोरेंट, दुकानों और सड़क किनारे की दुकानों पर क्यूआर कोड के साथ मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं.”
जेडीयू ने की यूपी सरकार के फैसले की निंदा
वहीं उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने के निर्देश पर JDU ने विरोध करते हुए इसे सबका साथ सबका विकास के विरुद्ध बताया है. जेडीयू प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा, “इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी की जो व्याख्या भारतीय समाज, NDA के बारे में है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’, यह प्रतिबंध इस नियम के विरुद्ध है. बिहार में नहीं(आदेश) है, राजस्थान से कांवड़ गुजरेगी वहां नहीं है. बिहार का जो सबसे स्थापित और झारखंड का मान्यता प्राप्त धार्मिक स्थल है वहां नहीं है. इसपर पुनर्विचार हो तो अच्छा है.”
राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने किया सरकार के फैसेल का बचाव
एनडीए सहयोगी विरोध के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने सरकार के फैसले का वचाव करते हुए कहा, “निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य कदम है और लोगों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़े इस भावना के साथ सरकार ने यह आदेश जारी किया है. इस आदेश में यह नहीं कहा गया है कि किसे कहां से सामान खरीदना है, जो जहां से चाहे वहां से सामान खरीद सकता है… दुकान के नीचे लगभग 40-50% लोग अपने मालिक का नाम लिखते हैं, मैं समझता हूं कि जो संविधान की व्यवस्था है उसमें धार्मिक आस्था का सम्मान और सरंक्षण का जो भाव दिया है उसके अंतर्गत यह एक बेहतर प्रयत्न है… हिंदू और मुसलमान मिलकर चलें, रामलीला में मुसलमान पानी पीलाते हैं तो लोग पीते हैं, ईद में हिंदू लोग उनका स्वागत करते हैं इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जो व्रत, त्योहार, कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं उनका उल्लंघन न हो… इस नीयत से यह निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है.”