हर साल आश्विन मास की प्रतिपदा तिथी से शुरु होने वाली नवदूर्गा पूजा इस साल 26 नवंबर से शुरु हो रही है.5 अक्टूबर को दसवी तिथि को पुर्णाहुति होगी. भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए नौ दिनों तक शक्ति की देवी की आराधना भक्त पूरी श्रद्धा भक्ति से करते हैं.नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्र के पहले श्रद्धालु अपने घरों में कलश स्थापित कर मां दुर्गा का आह्वान करते हैं. आइये आपको बताते है कि इस साल आप किस समय कलश(घट) का स्थापना करें जो आपके लिए शुभ मंगल लेकर आये.
शारदीय नवरात्र के लिए 26 नवंबर को कलश(घट) की स्थापना होगी. स्थापना के लिए सुबह 6 बजकर 28 मिनट से लेकर 8 बजकर 1 मिनट तक का समय शुभ माना गया है.इसके अलावा अभिजीत मूहूर्त (11.54 से लेकर 12.42 बजे तक) में भी कलश/घट स्थापना की जा सकती है.
कलश स्थापना के नियम:
एक साफ सुथरी जगह बनाये, यहां एक चौकी रखकर या फिर मिट्टी का एक आधार बनाये,जिसपर कलश रखा जाये
स्थापना के समय कलश का मुंह ढ़क कर रखें.कलश के उपर चावल रखकर उसपर एक नारियल रखें
जिस आधार पर कलश रखा जाना हो वहां मिट्टी फैलाये और उसमें जौ के दाने डालें.
फिर उसपर कलश/घट रखकर से मिट्टी व्यवस्थित करें.
कलश/घट स्थापना सदैव ईशान कोण में होनी चाहिये क्योंकि ईशान कोण को देवताओं का कोण माना जाता है.
कलश के पास ही एक अखंड ज्योति जलाकर रखें. ज्योति रखने समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि ज्योति सदैव पूर्व दक्षिण दिशा में रखी जाये .
कलश स्थापना के बाद फूल चंदन धूप अगरबत्ती मिष्ठान से कलश की पूजा करें औऱ देवी मां का आह्वाण करें.फिर दीप अखंददीप प्रज्वलित करें.
पूजा करते समय अपक चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिये
पूजा के स्थल के पास साफ सुथरी होनी चाहिये.गंदगी और जूठन नहीं होना चाहिये. जहां कलश/घट स्थापित किया जाये उसके सामने थोड़ी खुली जगह हो,जहां बैठक आप प्रसन्नचित होकर देवी की आराधना कर सकें.
पूजा स्थल के आस पास शौचालय या बाथरुम नहीं होना चाहिये.
जिस घर में कलश/घट स्थापना होती है वहां पूजन के समय दुर्गा सप्तशती का विधान है. मां दुर्गा के नौ रुपों का वर्णन दुर्गा सप्तशती में होता है.
कलश/घट स्थपाना का मंत्र
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
सप्तधान –7 प्रकार के अनाज बोने का मंत्र
ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
कलश पर नारियल रखने का मंत्र
ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।
26 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक देवी के किस रुप की पूजा कब होगी?
26 सितंबर– सोमवार- नवरात्र का पहल दिन-प्रतिपदा /मां शैलपुत्री
27 सितंबर– मंगलवार-नवरात्र का दूसरा दिन- द्वितीया /मां ब्रह्मचारिणी
28 सिंतबर –बुधवार- नवरात्र का तीसरा दिन – तृतीया /मां चंद्रघंटा
29 सितंबर – गुरुवार – नवरात्र का चौथा दिन-चतुर्थी/मां कुष्मांडा
30 सितंबर –शुक्रवार- नवरात्र का पांचवा दिन- पंचमी/मां स्कंदमाता
1 अक्टूबर –शनिवार- नवरात्र का छठा दिन-षष्ठी/ मां कात्यायणी
2 अक्टूबर –रविवार-नवरात्र का सातवां दिन- सप्तमी/ मां कालरात्रि
3 अक्टूबर –सोमवार-नवरात्र का आठवां दिन–अष्टमी /मां महागौरी
4 अक्टूबर –मंगलवार नवरात्र का नौवां दिन-महानवमी /मां सिद्धिरात्री)
5 अक्टूबर – बुधवार – दसवीं (दशहरा ) – दुर्गा विसर्जन