J&K Loksabha poll: देशभर में लोकसभा 2024 के लिए मतदान चल रहे हैं. देश भर में इस बार चुनाव को लेकर एक चिंताजनक तस्वीर सामने रही है कि लोग मतदान की प्रकिया में बहुत दिलचस्पी नही दिखा रहे हैं. देश भर के ज्यादातर हिस्सों में मतदान प्रतिशत में कमी आई है. इस के उलट जम्मू – कश्मीर में मतदाताओं में चुनावों को लेकर उत्साह नजर आ रहा है. लोग आतंकी वारदातों के बावजूद घरों से बाहर निकल रहे हैं और मतदान केंद्रों तक पहुंचकर अपना मत दे रहे हैं. जिस जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर सरकारें डरी रहती हैं, वहीं से लोगों के मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी लोगों के लोकतंत्र में बढ़ते विश्वास का संकेत जरुर माने जा सकते हैं.
J&K Loksabha poll : बारामूला सोपोर में जबर्दस्त मतदान
इश बार के चुनाव में लोकसभा सीट बारामूला पर 58 फीसदी मतदान हुआ, वहीं सोपोर में 44 फीसदी (पिछले चुनाव से लगभग 4 प्रतिशत ज्यादा ) मतदान दर्ज हुआ. ये आकड़ें ऐसे समय में सामने आये हैं जब कश्मीर के कई हिस्सों में अभी भी हालात को सामान्य नहीं कहा जा सकता है. हाल ही में शोपियां में बीजेपी नेता एजाज अहमद की गोली मार कर हत्या कर दी गई, वहीं पहलगाम में एक टूरिस्ट दंपत्ति को आतंकियों ने अपनी गोली का शिकार बनाया. जम्मू कश्मीर में एक धड़ा अभी भी ऐसा है जो इस क्षेत्र को मुख्यधारा से दूर रखने के लिए लगाताक आतंकी गतिविधियां चलाता रहता है, ताकि स्थानीय लोग अपने आप में ही उलझे रहें और देश के मुख्यधारा से उनकी दूरी बनी रहें.
जम्मू कश्मीर की आम जनता चाहती है अमन चैन
J&K Loksabha poll को लेकर आम धारणा यही रही है कि यहां दहशतगर्दों को स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल है, तभी तो आतंकी यहां आराम से वारदातों को अंजाम दे देते है. खासकर जम्मू कश्मीर से स्पेशल एक्ट धारा 370 हटने के बाद ये आशंका थी कि इसे लेकर स्थानीय लोगों में नाराजागी होगी. लोग चुनाव की प्रक्रिया में उत्साह नहीं दिखायेंगे. शायद यही कारण रहा है कि अब तक चुनाव आयोग भी यहां विधानसभा चुनाव कराने की हिम्मत नहीं करा पाया है लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में जस तरह से लोग अपने अपने इलाके में घरों से बाहर निकलकर आ रहे हैं, ये लोकतंत्र में लोगों के भरोसे को दिखाता है.
मतदान केंद्रों पर लोगों की मौजूदगी ये बताती है कि आमलोगों ने लोकतंत्र की प्रकिया में भरोसा जताया है और लोग मुख्य धारा में शामिल होना चाहते हैं. जाहिर है कि जम्मू कश्मीर में मतदान केंद्रों पर लोगों की मौजूदगी से देश की सियासी पार्टियों और यहां तक की चुनाव आयोग का भी उत्साह बढ़ेगा.
मतदाताओं में मतदान को लेकर दिखा उत्साह
ये हकीकत है कि जम्मू कश्मीर के आमलोग अपने सूबे में अमन चैन चाहते हैं. उन्हें ये पता चल गया है कि दहशतगर्दी से उनके जीनव में मुश्किलों के सिवा कुछ और नहीं आने वाला है. आतंकियों और सुरक्षाबलों के टकराव के बीच आम लोगों को पीसना पड़ता है.रोजी-रोटी रोजगार सब खत्म हो जाते हैं.सुरक्षा बलों की तलाशियो के बीच आम लोगों का जनजीवन दुश्वारियों से भर जाता है औऱ लोगों को अपनी जिंदगी खौफ में बसर करनी पड़ती है.
यही कारण है कि आम लोग भी ये चाहते है कि अब खौफ का माहौल खत्म हो और सूबे में अमन चैन की सूरत बने. चुनाव होंगे तभी सूबे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत होगी और सरकारें उनके लिए फैसले करेंगी. जम्मू कश्मीर की आम जनता को अब ये समझ आ गया है कि अलगाववादी ताकतें केवल उनको उलझाये रखना चाहती है, उनके भले से दहशतगर्दों को कोई लेना देना नहीं है.
विधानसभा चुनाव के लिए भी जगी उम्मीद
जम्मू कश्मीर में परिसीमन हुए काफी समय हो चुका है.यहां के तमाम राजनीतिक दल भी चाहते है कि राज्य में लोकतांत्रिक प्रकिया फिर से जल्द से जल्द शुरु हों. घाटी के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो ज्यादातर इलाके आमतौर पर तनावमुक्त नजर आते हैं . अनंतनाग, शोपियां, बारामूला सोपोर जैसे इलाकों में कुछ आतंकी गतिविधियां जरुर नजर आती हैं लेकिन अब वहां भी चुनाव को लेकर लोगों में डर कम और उत्साह ज्यादा नजर आ रहा है. लोगों के उत्साह ने आतंकियों के मनसूबों को पश्त कर दिया है, जिसे लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है.