पटना : 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में JDU ने बीजेपी को ‘बड़े भाई’ का दर्जा दिया है. हालांकि आधिकारिक तौर अभी तक कोई घोषणा नहीं हुई है लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. त्यागी के इशारों ने काफी कुछ बता दिया है. के.सी. त्यागी ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए बीजेपी को JDU पार्टी के लिए बड़े भाई की तरह बता दिया है.
आपको बता दें कि, बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग के सवाल पर के.सी. त्यागी ने कहा कि JDU जहां पिछली बार जीती थी, उन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी. जीती हुई सीटें जेडीयू-बीजेपी की अमानत हैं. बीजेपी, जेडीयू के लिए बड़े भाई की तरह है. सीटों के बंटवारे के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों के सीट शेयरिंग फॉर्मूले को ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
के.सी. त्यागी के बयान से बाद से ही अटकलों का बाजार गरम हो गया है. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और JDU दोनों ने बिहार में बराबर 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने राज्य की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि JDU ने 16 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. अब कयास लगाये जा रहे हैं कि 2019 के चुनाव की तरह ही बीजेपी राज्य की 17 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं, JDU बिहार की 40 सीटों में से अपने 16 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतार सकती है. हालांकि सीट बंटवारे को लेकर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है, लेकिन के.सी. त्यागी के बयान से JDU और बीजेपी दलों के बीच सीटों के बंटवारे की ओर इशारा जरूर हुआ है.
के.सी. त्यागी ने मीडिया से बात करते हुए यह भी साफ किया कि आने वाले चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर NDA और दोनों दलों के बीच कोई समस्या नहीं है. उन्होंने साफ कर दिया है कि सीटों के बंटवारे की घोषणा जल्द ही कर ली जाएगी.
जानकारी के लिए बता दें कि, बिहार में बीजेपी और JDU के साथ NDA गठबंधन में चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के दल भी शामिल हैं. 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी और JDU के बीच 17-17 सीटों के बंटवारे के बाद बाकी छह सीट राम विलास पासवान की LJP को मिली थीं. जिसके बाद से ही, LJP दो गुटों में बंट गई, जिसमें एक गुट का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं और दूसरे का चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं.
बीजेपी राज्य में जीती हुई 17 सीटों को छोड़ना नहीं चाहती है. JDU भी अपने 16 निर्वाचन क्षेत्रों को अन्य दलों के साथ बांटने में नाखुश नजर आ रही है. जिसके बाद चार दलों के बीच बांटने के लिए कुल 6-7 सीटें ही बचती हैं, जिससे सीटों का बंटवारा करना काफी मुस्किल हो सकता है.