शी जिनपिंग की जाल में बचकर Jack Ma पहुँचे यूरोप, आज़ादी के लिए चुकानी पड़ी बड़ी कीमत !

0
211

चीन में तानाशाही का वो आलम है. जो किसी को दिखा नहीं लेकिन किसी से छिपा भी नहीं है. चीनी सरकार के खिलाफ जो भी जाता है या तो उसे सजा मिलती है या फिर उसका पूरा जीवन गुमनामी में बीतता है.  किसी वक्त दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल और दुनिया में तेजी से बढ़ रही कंपनी अलीबाबा के को-फाउंडर, एशियाई कन्ट्रीज में सबसे अमीर शख्स जैक मा के साथ भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था. बीते कई समय से वो बाहरी दुनिया के संपर्क से काफी दूर रह रहे हैं. जबसे शी जिंग पिंग की सरकार से उनकी अनबन हुई है. तब से जैक मा का कुछ अता पता नहीं है. ख़बरें तो ये भी थी कि चीनी सरकार से बगावत करने के एवज में उनका अपहरण कर लिया गया है. तबसे अभी तक उनका कुछ पता नहीं चला. कई ख़बरें तो उनके मरने की भी उड़ी थी.

लेकिन लगभग दो साल बाद अब जाकर उनकी खबर मिली है. मिली जानकारी के मुताबिक वो यूरोपी देशों के टूर पर देखे गए हैं. 57 साल के जैक मा ऑस्ट्रिया के एक रेस्त्रां में दिखाई दिए और उन्होंने सतत पोषणीय खेती के बारे में सीखने के लिए नीदरलैंड की एक यूनिवर्सिटी का दौरा किया. साथ ही उन्होंने स्पेन के द्वीप मैलोर्का में अपनी यॉट से यात्रा करते भी दिखाई दिए. जिस तरह जैक मां छिपते छिपाते यूरोपीय टूर पर गए इससे ऐसा लगता है कि चीन की सरकार का दबाव जैक मा पर कम नहीं हुआ. इसलिए अभी भी वो दुनिया की नज़र से बचते हुए घूम रहे हैं.

एक वक्त पर जैक मा की कंपनी अलीबाबा चीन में इतनी बड़ी हो गई थी कि उन्हें चीन के सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक माना जाने लगा था. लेकिन कोरोना शुरू होने से पहले तक एशिया के सबसे रईस अरबपति रहे जैक मा अब बुरे दौर से गुजर रहे हैं. बीते करीब तीन साल से जैक मा की संपत्ति में लगातार कमी हुई है.

इस बीच खबर ये है कि अब जैक मा ने एंट समूह का नियंत्रण छोड़ने की योजना बनाई है. बता दें कि जैक मा के पास एंट में केवल 10 फीसदी हिस्सेदारी है लेकिन वह सहयोगी कंपनियों के जरिए कंपनी पर नियंत्रण रखते हैं। वह एंट ग्रुप में 50.52 % वोटिंग अधिकार रखते हैं। लेकिन चीनी सरकार के कड़े रूख के कारण एंट ग्रप को कड़े सरकारी नियंत्रण के तहत काम करना पड़ा है. शायद इसीलिए मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि जैक मा अपने शेयर कंपनी के बड़े अधिकारियों को दे देंगे ताकि उसे एक कमिटी देखती रहे।

दरअसल साल 2020 में उन्होंने अपनी बड़ी फिनटेक कंपनी पर सख्ती करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी की अधिकारियों की खुली आलोचना की थी. इसके बाद चीन की सरकार ने एंट ग्रुप के आईपीओ लाने पर रोक लगाने का फैसला किया. तभी से जैक मा के बुरे दिन शूरू हो गए. इसके बाद यह भी सूचना मिली कि उन्हें सरकारी कैद से निकलने के लिए कई कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ रहा है. उन्हें पहले की तरह पर्सनल जेट से यहां-वहां जाने की अनुमति नहीं है. सरकार के खिलाफ बोलने का खामियाज़ा उन्हें अभी तक भुगतना पड़ रहा है.

वैसे सिर्फ जैक मा ही नहीं बल्कि चीन की एक बड़ी पत्रकार भी चीनी सरकार के तानाशाही रुख का शिकार बनचुकी हैं. चीन में एक पूर्व वकील और नागरिक पत्रकार, 37 वर्षीय झांग झान, जिन्हें वुहान में रिपोर्टिंग के लिए मई में हिरासत में लिया गया था, को चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. ये सब सिर्फ इसीलिए क्योंकि उन्होंने चीन का असल सच दुनिया को बताया.
तो देखा आपने चीन में सरकार के खिलाफ जाने का नतीजा. शयद शी जिंनपिंग को सत्ता इतनी प्यारी है कि बदले में चीनियों की जान चली जाए, पूरी अर्थव्यवस्था मीट्टी में मिल जाये. जो कि पिछले कुछ वक्त से हो भी रहा है . चीन की झूठी शान की पोल धीरे धीरे खुल रही है .
खबर पर अपनी राये कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं