Wednesday, December 18, 2024

ISRO ने एक्सपोसैट मिशन लांचिंग के साथ की नये साल की शुरुआत,ब्लैक होल-न्यूट्रॉन स्टार की स्टडी करने वाला भारत दुनिया के दूसरा देश

दिल्ली: नए साल के पहले ही दिन इसरो OSRO ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्पेस सैटेलाइट का परीक्षण करने वाला एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट’ लांच कर दिया है . यह सैटेलाइट ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. पूरी दुनिया में अमेरिका का बाद इस मिशन पर काम करने वाला भारत दूसरा देश बन गया है.  इससे पहले भारत ने बीते साल चंद्रयान 3 और आदित्य L1 मिशन को किया. इस मिशन की सफलता के बाद आब एक बार फिर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ISRO इस मिशन के साथ इतिहास रचने की तैयारी में है. एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा.चंद्रयान-3 और आदित्य-एल 1 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन साल 2024 में भी कई अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम देने वाला है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्, जेपी नड्डा ने भारतीय वैज्ञानिकों को इस सफलता के लिए बढ़ाई  दी .

ISRO का एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट ब्लैकहोल के रहस्यों का लगाएगा पता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने साल के पहले दिन अपने नये मिशन को लांच करके दुनिया को ये बता दिया है कि आने वाले साल में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नये नये कीर्तिमान स्थापित करने  के लिए तैयार है .एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट पल्सर, ब्लैक होल्स, आकाशगंगा, रेडिएशन आदि की स्टडी करेगा. इस सेटेलाइट के जरिये  पीएसएलवी-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘एक्सपोसैट’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर  गया और इसे पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा.

सुबह 9. 10 पर सेटेलाइट हुआ लांच 

चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा  से नए साल के पहले दिन सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती 31 दिसम्बर 2023 को शुरू हो गई थी.इसरो ने बताया पीएसएलवी-सी58 के लिए आज सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर उलटी गिनती शुरु की गई. एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा.

नासा भी दिखा चुका है दिलचस्पी

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था.ब्लैक होल के रहस्यों में नासा भी दिलचस्पी दिखा चुका है .इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है.इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा.यह प्रक्षेपण पीएसएलवी रॉकेट श्रृंखला का 60वां प्रक्षेपण है.

 लॉचिंग से पहले भगवान वेंकेटेश्वर की पूजा

आज सुबह इसरो के वैज्ञानिकों ने आज 1 जनवरी को PSLV-C58 एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट मिशन और 10 अन्य पेलोड के लॉन्च से पहले  तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की.

आपको बता दें कि अंतरक्ष  विज्ञान के क्षेत्र में शोध करने वाले देशों में भारत उस पहली पंक्ति का देश बन गया जो ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स जैसे क्षेत्र में शोध कर रहा है. भारत से पहले केवल अमेरिका ने इस क्षेत्र में शोध किया है. भारत दुनिया का दूसरा देश है जो  ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी के लिए स्पेशलाइज्ड एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेट्री को अंतरक्ष में भेज रहा है .

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