Friday, December 13, 2024

क्या ‘Uniform Civil Code’ है BJP का लॉलीपॉप ?

Uniform Civil Code: भारत देश जिसकी धर्म निर्पेत्क्षता की मिसाल आज भी पूरी दुनिया देती है. जहाँ कई धर्मों को लोग एक साथ अलग अलग रीतिरिवाज़ों का पालन करने के बाद भी एक है. ये आज़ादी भारत की जनता को भारत का संविधान देता है. लेकिन इन्ही रीती रिवाज़ों में कुछ रिवाज़ ऐसे भी है जो न केवल कानूनी रूप से गलत है. बल्कि उनकी इजाज़त इंसानियत का धर्म भी नहीं देता. ऐसी ही रिती रिवाज़ों को जड़ से उखाड़ फेंकने के इरादे से केंद्र सरकार UCC Uniform Civil Code भारत में लागू करने जा रही है. यानी एक देश में रहने वालों पर एक जैसा कानून लागू हो.

Uniform Civil Code का हो रहा विरोध

धीरे धीरे अब पूरे देश में UCC को लेकर चर्चायें गर्म हो रही हैं. एक तरफ हिन्दू पक्ष जहाँ इस कानून के पक्ष में और खुश नज़र आ रहा है. तो वहीँ दूसरी तरफ UCC Uniform Civil Code का विरोध देश के कोने कोने में किया जा रहा है. ख़ास तौर पर मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों द्वारा.

Uniform Civil Code के खिलाफ शफीकुर्रहमान

UCC मामले में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाँ बोर्ड की मीटिंग करीब 3 घंटे चली थी. जिसमें यूनिफार्म सिविल कोड के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई. वहीँ दूसरी तरफ संभल में समान नागरिकता कानून को लेकर डॉ शफीक उर रहमान बर्क ने विवादित बयान देते हुए कहा कि हम अपने मजहबी काम कुरान के हिसाब से करते हैं और करते रहेंगे. यानि अगर UCC लागू हो भी जाता है तो भी इस्लाम के आगे ये किसी कानून को नहीं मानेंगे.

सिर्फ इतना ही नहीं शफीकुर्रहमान ने केंद्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा धर्म अपनी जगह है, कानून अपनी जगह है. इन मामलों में केंद्र को सियासी दखल नहीं देना चाहिए. इससे मुल्क में एका खत्म हो रहा है. आपकी हिंदू-मुस्लिम नफरत की पॉलिसी है. इस पॉलिसी से हिंदुस्तान नहीं बन पाएगा मोहब्बत की पॉलिसी लाइए और मोहब्बत का पैगाम दीजिए.
वहीं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने यूसीसी पर तंज कसते हुए कहा कि आम जनता के मुद्दे हैं महंगाई भ्रष्टाचार बेरोजगारी, यूसीसी के बारे में कितने लोग जानते हैं.

मुस्लिमों अलावा ईसाईयों ने भी खोला मोर्चा

वैसे सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग भी अब UCC के विरोध में उतर रहे हैं. UCC के विरोध में ट्राइबल और ईसाई मिशनरी भी अब मोर्चा संभालते नज़र आ रहे हैं. आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक देव कुमार धान ने बताया कि समान नागरिकता कानून का हम विरोध कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि जब यह लागू हो जाएगा तो हमेशा के लिए हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. हमें जो संविधान ने सीएनटी, एसपीटी, विलकिंग्सन रूल, पेसा कानून दिया है. हमारे रीति रिवाज जो बरसों से चलते आ रहे हैं वह समाप्त हो जाएंगे. इसीलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं. हमारे जो जमीन है उस पर गैर आदिवासियों का कब्जा हो जाएगा. कहीं ना कहीं हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में केंद्र सरकार का कदम है और जबरदस्ती हम पर इसे थोपा जा रहा है.

सांसद संजय सिंह ने खोली पोल!

वहीं यूपी के प्रयागराज में आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा ही नहीं है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को पास करें. अगर उनकी मंशा होती तो 9 साल से प्रधानमंत्री हैं. जब उनके कार्यकाल के अंतिम 10 महीने बचे हैं. उनका विदाई समारोह होने वाला है. तब उनको इस की याद आई है और अगर वह पास करना चाहते हैं तो एक दस्तावेज तो देश के सामने रखें.

हम यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का समर्थन करना चाहते हैं. लेकिन कैसे करें उनका कोई दस्तावेज ही सामने नहीं आ रहा है. सिक्खों के लिए एक एक्ट है आनंद मैरिज एक्ट. उस पर सरकार क्या कहना चाहती है. जैन धर्म के लोगों के लिए कुछ रक्षा कानून हैं. उस पर प्रधानमंत्री जी क्या कहना चाहते हैं .

वैसे यहां संजय सिंह की बातों में दम तो है. कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे दिल्ली और यूपी विधानसभा चुनाव से पहले CAA NRC के नाम पर जो माहौल बनाने की कोशिश कर देश के कोने कोने में हिन्दू वोटर्स को रिझाने का प्रयास किया गया था. कहीं UCC उसी तर्ज पर फेंका गया कोई नया पांसा तो नहीं. जिस तरह संजय सिंह कह रहे हैं कि हकीकत तो ये है कि बीजेपी खुद UCC लागू नहीं करना चाहती है. क्योंकि अगर BJP ऐसा चाहती तो बहुमत में रहते हुए वो ये आराम से कर सकती थी लेकिन अब तो लगने लगा है कि चुनाव में हार की घबराहट से बीजेपी बस जनता का ध्यान बड़े और जरूरी मुद्दों से भटकाना चाहती है. वरना आप खुद सोचिये अगर केंद्र का इरादा UCC को लेकर पक्का होता तो क्या उसका कोई ड्राफ्ट रेडी नहीं होता लेकिन अभी तक न तो ड्राफ्ट बना है और न ही कोई नीति. जैसे CAA NRC का कोई ड्राफ्ट आज तक नहीं बना.

ऐसा लग रहा है कि बस जनता के बीच में UCC के नाम का हौवा पैदा किया जा रहा है. तो क्या आपको भी लगता है बीजेपी CAA NRC की तरह UCC के नाम पर बस अपने वोटर्स को इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है. अपनी राय कमेंट कर जरूर बताएं.

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