Monday, February 24, 2025

ये संयोग है या प्रयोग,चुनाव के समय पेरोल पर बाहर आया राम रहीम

एक बार फिर बलात्कारी और हत्यारा राम रहीम जेल से बाहर आ चुका है. बलात्कार और हत्या के जुर्म में जेल की सजा काट रहे राम रहीम को 40 दिन की पेरोल मिली है. इससे पहले भी तकरीबन 30 दिन के पैरोल पर राम रहीम बाहर आया था उस वक्त भी हरियाणा में विधान सभा चुनाव हो रहे थे. आश्चर्य की बात ये है कि इस बार फिर जब राम रहीम पैरोल पर बाहर आया है तो हरियाणा मे निकाय चुनाव हो रहे हैं और साथ ही आदमपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है.आखिर कैसे ठीक चुनाव के वक्त ही मिली राम रहीम को पेरोल…ये संयोग है या प्रयोग. आज ये जानने की कोशिश करते हैं
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूरे हरियाणा में राम रहीम के भक्तों की अच्छी खासी तादाद है. और सिर्फ हरियाणा में ही नहीं बलकि हिमाचल और पंजाब में भी राम रहीम के लाखों फॉलोवर्स हैं. इस वक्त हरियाणा में पंचायत चुनाव होने हैं, साथ ही आदमपुर विधान सभा सीट पर उप चुनाव भी होना है. कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे के बाद ये सीट खाली हुई थी. बीजेपी राम रहीम के सहारे चुनाव की इस वैतरणी को पार करने की कोशिश में है. इसलिए राम रहीम का जेल से बाहर आना महज संयोग नहीं हो सकता.
ये बात सही है कि किसी भी सजायाफ्ता कैदी के पेरोल में सरकार का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता है.कैदी पेरोल की अर्जी देता है जिसे डीसी जिले के एसपी को भेजते हैं. एसपी अपनी रिपोर्ट देता है कि ये कैदी जेल से निकलने के बाद कानून व्यवस्था के लिए खतरा नहीं बनेगा. इसके बाद डीसी पेरोल का आदेश जेल सुपरिंटेडेंट को देते हैं. इसके बाद कैदी पेरोल पर बाहर आ जाता है.इसमें कहीं भी मुख्यमंत्री या सरकार के लेवल पर कोई दखल नहीं है.
लेकिन ये भी सच है कि राम रहीम जैसे हाइ प्रोफाइल मामले में सरकार का दखल होता ही है. सरकार की जानकारी के बगैर ऐसे हाइ प्रोफाइल कैदी को पेरोल मिलना नामुमकिन है. इसलिए एक बार फिर राम रहीम के पेरोल पर बाहर आने के बाद लोगों की निगाह हरियाणा की बीजेपी सरकार पर टिक गई है.
जाहिर तौर पर चुनाव जीतने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती है.भले ही इसके लिए राम रहीम को पेरोल दिलवानी पड़ जाए. आखिर उसकी मदद से वोट भी तो मिलेंगे जिससे जीत पक्की होगी. बात केवल हरियाणा के निकाय चुनाव की नहीं है, हिमाचल में भी चुनाव की घोषणा हो चुकी है. हिमाचल में भी राम रहीम के लाखों भक्त हैं जो उसके एक इशारे पर किसी को भी वोट देकर जिता सकते हैं. जहां जीत की बात हो तो ऐसे में भला आलोचनाओं की परवाह कौन करता है.
राम रहीम के पेरोल को बीजेपी से इसलिए भी जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि रेप और हत्या जैसे घिनौने अपराधों में सज़ा याफ्ता गुरमीत राम रहीम पैरोल पर बाहर आने के बाद ऑनलाइन सत्संग कर रहा है. जिसमें आशीर्वाद लेने BJP के बड़े बड़े नेताओं की लाइन लगी थी .18 अक्टूबर को गुरमीत ने उत्तर प्रदेश के बागपत से एक ‘वर्चुअल सत्संग’ का आयोजन किया. जिसमें करनाल नगर निगम की मेयर रेणु बाला गुप्ता, बीजेपी जिला अध्यक्ष योगेंद्र राणा, डिप्टी मेयर नवीन कुमार और सीनियर डिप्टी मेयर राजेश कुमार शामिल थे. ये जानते हुए कि राम रहीम एक सजायाफ्ता अपराधी है.
गुरमीत राम रहीम के सत्संग में बीजेपी नेताओं की हाजिरी से सब कुछ साफ हो गया है.वो कहावत तो आपने सुनी होगी कि अपना काम निकालने के लिए गधे को भी बाप बनाना पड़ता है तो BJP की मेयर रेणु बाला ने इसी राह पर चलते हुए राम रहीम को ‘पिताजी’ कहकर संबोधित किया.
गुरमीत राम रहीम तीन अलग-अलग आरोपों में जेल की सजा काट रहा है.जिसमें मई 2002 में अपने एक अनुयायी रंजीत सिंह की हत्या ; अक्टूबर 2002 में पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या; और 2002 में अपने संगठन की दो महिलाओं के साथ बलातकार. इन्ही मामलों में अगस्त 2017 में राम रहीम को दोषी पाया गया और कोर्ट ने 20 साल जेल की सजा सुना दी. जेल की सजा सुनाए जाने के बाद हरियाणा में जबर्दस्त हिंसा भड़क उठी थी जिसमें कम से कम 41 लोग मारे गए थे.
हालाँकि हरियाणा सरकार ने गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने को ‘रूटीन प्रक्रिया’ कहा है लेकिन ठीक चुनाव के वक्त पेरोल मिलना और उसके दरबार में बीजेपी नेताओं की मौजूदगी ने ये साफ कर दिया है कि ये संयोग नहीं प्रयोग है.अब ये प्रयोग कितना सफल होता है वो तो चुनाव के रिजल्ट से ही पता चलेगा.

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