कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीजेपी की बेचैनी अब नज़र आने लगी है. महाराष्ट्र में वीर सावरकर को लेकर हो रहे विवाद के बीच मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा शुरु होने से पहले ही पाबंदियों लगनी शुरू हो गई हैं. ख़बर है कि उज्जैन के नए बने महाकाल कॉरिडोर में कैमरा और मोबाइल फोन ले जाने पर पाबंदी लगा दी गई है. कांग्रेस ने इसे भारत जोड़ो यात्रा का डर बताया है.
महाकाल कॉरिडोर के उद्घाटन के समय से ही कांग्रेस और बीजेपी में कॉरिडोर के निर्माण का श्रेय लेने की होड़ लगी थी. कांग्रेस का दावा है कि 2019 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने महाकाल कॉरिडोर के लिए 300 करोड़ का बजट जारी किया था. वहीं बीजेपी का कहना है कि कॉरिडोर का प्लान 2017 में शिवराज सरकार ने तैयार किया था और कमलनाथ सरकार ने इसके काम को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. इस तू-तू मैं मैं के बीच महाकाल का उद्घाटन हुआ और प्रधानमंत्री की महाकाल मंदिर में पूजा करती तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल भी हुए.
पीएम मोदी पर रोक नहीं तो राहुल गांधी पर क्यों
प्रधानमंत्री की वायरल वीडियो का तोड़ निकालने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राहुल गांधी को महाकाल के दरबार में ले जाने का फैसला किया. तय ये हुआ की राहुल महाकाल मंदिर में पूजा करेंगे और बाद में उज्जैन शहर में सभा कर ये बतायेंगे की कैसे कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2019 में ही महाकाल की गरिमा को चार चांद लगाने के लिए बजट का आवंटन कर दिया था. इस एक कार्यक्रम से कांग्रेस दो शिकार करना चाहती थी. वह राहुल गांधी की हिंदू होने की छवि को मज़बूत करने के साथ-साथ उधार के विकास के लिए बीजेपी को घेरने की तैयारी में थी.
इससे पहले कि कांग्रेस के मंसूबे पूरे होते बीजेपी सरकार ने प्रशासन और मंदिर कमेटी की मदद से महाकाल मंदिर परिसर में फोटो खींचने पर ही रोक लगा दी. मकसद साफ था कि राहुल गांधी जनेऊ तिलक लगा कर पूजा करते हुए नहीं दिख पाएं. बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस तिलमिला गई उसने हंगामा किया तो प्रशासन ने मंदिर की दहलीज तक कैमरा ले जाने की अनुमति दे दी. वो भी सिर्फ कैमरा, मोबाइल नहीं. कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं है. उसका कहना है कि बीजेपी डर रही है.
दक्षिण भारत के मंदिरों में दर्शन करते हुए आ रहे हैं राहुल गांधी
वैसे इसे बीजेपी का डर कहें या कुछ और लेकिन सवाल कई हैं जब काशी समेत दूसरे कई बड़े मंदिरों में जब मोबाइल पर बैन नहीं तो उज्जैन में क्यों. दूसरा सवाल जरा राजनीतिक है. अगर पीएम मोदी के महाकाल में पूजा करते वीडियो बन सकते हैं. अगर पीएम केदारनाथ के गर्भागृह में कैमरे के साथ जा सकते हैं तो राहुल गांधी क्यों नहीं. बीजेपी तो हमेशा से राहुल गांधी के हिंदू होने पर सवाल उठाती रही है. अब जब राहुल दक्षिण भारत में भारत जोड़ो यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले सभी मंदिरों के दर्शन करते तस्वीरें और वीडियो बनवाते हुए आ ही रहे हैं तो उज्जैन में उनको रोकने का क्या मतलब? पिछले डेढ़ महीने में कांग्रेस राहुल गांधी और प्रधानमंत्री की मंदिर दर्शन की तस्वीरों को एक साथ लगा, एक को उसके लुक से राजा और एक को साधु बता खूब वायरल करती आई है. ऐसे में अब राहुल गांधी की पूजा करती तस्वीरों से बीजेपी की परेशानी उसकी घबराहट को ही दिखा रही है.
यात्रा के मध्य और उत्तर भारत में आने पर होगी असल लड़ाई
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर पिछले तकरीबन 2 महीने से ज्यादा से बीजेपी की चुप्पी को जानकार उसकी रणनीति बता रहे थे. जबकि कई लोगों का मानना था कि दक्षिण भारत में अगर कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो बाकी राज्यों में बीजेपी की खास ज़मीन है ही नहीं ऐसे में दक्षिण भारत में राहुल की यात्रा को ज्यादा दिक्कत नहीं होनी थी. राजनीतिक विश्लेषकों का साफ कहना था कि यात्रा जब मध्य और उत्तर भारत पहुंचेगी असल लड़ाई तब होगी. यहां मंदिर से लेकर विकास सभी मुद्दों पर बीजेपी कांग्रेस के हर वार का जवाब तैयार रखेगी. उजैन्न के महाकाल में तो विकास और भगवान दोनों एक साथ है. ऐसे में बीजेपी कांग्रेस को इसपर अपनी दावेदारी ठोकने कैसे दे सकती थी.
यात्रा पर पाबंदियां लगाने से बीजेपी को होगा नुकसान
हलांकि कई जानकार मानते हैं कि बीजेपी अगर इस तरह की पाबंदियां लगाएगी तो वो सिर्फ मुद्दों को चर्चा में बनाए रखने में कांग्रेस की मदद करेगी. इन पाबंदियों से उसके टूटते आत्मविश्वास और तानाशाही रवैये की ही झलक नज़र आएगी. ऐसे में बीजेपी के लिए यहां कांग्रेस के प्रचार को रोकने से ज्यादा अपना खुद का प्रचार करते रहना ज्यादा फायदेमंद होगा. वैसे भी कहा गया है do what you know best यानी वो करो जिसमें आप सबसे बेहतर हो. और अपने कामों के प्रचार-प्रसार में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी से माहिर कोई है ही नहीं.
वैसे आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में राहुल की यात्रा मध्य प्रदेश की सीमा पर पहुंच चुकी है. 23 नवंबर को यात्रा बुरहानपुर से सुबह छह बजे अपना मध्य प्रदेश अध्याय प्रारंभ करेगी और 3 की जगह 5 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान के लिए निकल जाएगी.