Indian Embassy Advisory: गुरुवार को ढाका में भारतीय उच्चायोग ने एडवाइजरी जारी कर बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से बचें और अपने निवास स्थान से बाहर कम से कम निकलें. आपको बता दें बांग्लादेश में छात्रों की सरकार की नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल चल रही है. जिसके हिंसक हो जाने से छह लोग मारे गए.
Indian Embassy Advisory: ढाका में जारी की एडवाइजरी
ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक परामर्श में कहा, “बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने आवास परिसर से बाहर कम से कम आने-जाने की सलाह दी जाती है.”
किसी भी तरह की आपात स्थिति या सहायता की आवश्यकता होने पर, बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय निवासियों से 24 घंटे के आपातकालीन नंबरों पर उच्चायोग और सहायक उच्चायोगों से संपर्क करने का आग्रह किया गया है.
क्यों हो रहा है बांग्लादेश में प्रदर्शन
बांग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शनों असल में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग है. जिसके बारे में विरोधियों का कहना है कि यह बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाती है क्योंकि यह विशिष्ट समूहों के लिए पद आरक्षित करती है. जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वालों के वंशज भी शामिल हैं.
बांग्लादेश में खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी
बांग्लादेश के छात्रों ने गुरुवार को सिविल सेवा भर्ती नियमों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई, प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से शांति प्रस्ताव को ठुकराते हुए, जिन्होंने प्रदर्शनों में मारे गए छह लोगों के लिए न्याय का वादा किया था.
विरोध समन्वयक नाहिद इस्लाम ने रॉयटर्स को बताया, “हम पूर्ण बंद की अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ेंगे… सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे.” उन्होंने कहा, “केवल अस्पताल और आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी, एम्बुलेंस सेवाएं ही एकमात्र अनुमत परिवहन होंगी.”
प्रदर्शन बना शेख हसीना सरकार के लिए मुसीबात
यह विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के लिए पहली बड़ी चुनौती है, क्योंकि उन्होंने जनवरी में विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) द्वारा बहिष्कार किए गए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी.
उन्होंने कहा कि 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई करेगा, जिसमें 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण को बहाल करने का आदेश दिया गया था. शेख हसीना ने छात्रों से फैसला आने तक धैर्य रखने को कहा.