उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में मारे गए गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अतीक की बहन ने सुप्रीम कोर्ट से दोनों की ‘राज्य-प्रायोजित हत्या’ के साथ-साथ असद की मुठभेड़ की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच की मांग की है.
अतिक की बहन ने दायर की याचिका
अतीक और अशरफ की बहन आयशा नूरी की ओर से वकील सोमेश चंद्र झा और अमर्त्य आशीष शरण ने जो याचिका दायर की है उसमें याचिकाकर्ता ने भाइयों के साथ-साथ याचिकाकर्ता के परिवार के अन्य सदस्यों की ‘हिरासत में और न्यायेतर हत्याओं’ की स्वतंत्र जांच की भी मांग की है, जो एक-दूसरे से कुछ ही दिनों के अंतराल पर हुई थीं. याचिका में कहा है कि, कथित तौर पर ‘प्रतिशोध’ की भावना के तहत ‘उच्च-स्तरीय राज्य एजेंटों’ द्वारा उसके परिवार के सदस्यों को “हत्या करने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने” का अभियान चलाया उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई है. अतिक की बहन ने आरोप लगाया है कि कथित ‘उच्च-स्तरीय राज्य एजेंट ही उसकी परिवार में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. नूरी ने दावा किया है कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को उत्तर प्रदेश सरकार का पूर्ण समर्थन प्राप्त है. जिसने (उत्तर प्रदेश सरकार ने) उन्हें प्रतिशोध के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने की पूरी छूट दे दी है.
उच्च स्तर के अधिकारियों की भी हो जांच -नूरी
नूरी ने अपनी याचिका में अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का आह्वान करते हुए कहा है कि, यह राज्य के अधिकारियों पर मौतों की प्रभावी ढंग से जांच करने के लिए एक सकारात्मक प्रक्रियात्मक दायित्व डालता है. “इस जांच का उद्देश्य जीवन की गारंटी का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है, और संविधान के तहत स्वतंत्रता और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जहां भी राज्य के एजेंट और एक्स्ट्रा जुडिशल किलिंग के किसी भी मामले में शामिल हों, उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए, ”
नूरी ने तर्क दिया कि यदि दायित्व केवल निचले स्तर के अधिकारियों पर तय किया जाता है, न कि याचिकाकर्ता के रिश्तेदारों की हत्या के लिए अंततः जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ, तो राज्य सरकार पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने कहा कि वो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच की प्रार्थना करती हैं.
पहले से लंबित है इस मामले में एक याचिका
आपको बता दें इसी मामले में दायर एक अन्य याचिका – जो अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा जनहित में दायर की गई है वो भी कोर्ट के सामने लंबित है, जिसमें अहमद बंधुओं की हत्याओं की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है, जिसे लाइव टेलीविजन पर देखा गया था. इस याचिका में यूपी राज्य में 2017 से हुई अन्य 183 मुठभेड़ और हत्याओं की जांच की भी मांग की गई है.
कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार से मांगी है जांच की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इन हत्याओं की जांच के लिए उठाए गए कदमों पर ‘व्यापक हलफनामा’ मांगा है, साथ ही अतीक अहमद के बेटे समेत उमेश पाल हत्याकांड के अन्य आरोपियों की मुठभेड़ में हुई हत्या की जांच के बारे में भी जानकारी मांगी है.
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