बीजापुर: छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बीजापुर में जहां पेड़ों को भगवान मानकर पूजा जाता है. जहां आदिवासी अपनी प्रकृति को बचाने के लिए आंदोलन करते हुए मर जाते हैं, ऐसी जगह कुटरू वन क्षेत्र (बफर) के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई जारी है और वनों के संरक्षण का जिम्मा संभालने वाले अधिकारी कुंभकरण की नींद सो रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण पेड़ों की कटाई हो रही है। जबकि वन विभाग अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है। बीट नैमेड़ के नयापारा में पेड़ों की अवैध कटाई पर विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि बीट नैमेड़ के नयापारा क्षेत्र में खेती के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण उन पेड़ों को भी काट रहे हैं जो कुछ साल पहले लगाए गए थे।
कई स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से की है, इसके बावजूद रेंजर से लेकर बीट गार्ड तक कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस अवैध कारोबार की जानकारी वन विभाग समेत कई जिम्मेदार लोगों को है, लेकिन जब उनसे इस बारे में पूछा जाता है तो वे ऐसी गतिविधियों से इनकार करते हैं। ग्रामीणों की सजगता और सूचना पर कभी-कभार विभाग लकड़ी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करता है। ठोस कार्रवाई के अभाव में अपराधी बच निकलते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध कटाई से क्षेत्र के जंगल नष्ट हो रहे हैं।
जंगलों से लकड़ी के साथ-साथ अवैध जलाऊ लकड़ी का कारोबार भी दिन-प्रतिदिन फल-फूल रहा है। इन लकड़ियों का उपयोग होटलों, ढाबों, ईंट भट्टों और ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है। अवैध कटाई के बाद जमीन को लेकर बढ़ रहे आपसी विवाद: हाल ही में कुटरू वन क्षेत्र में जंगल की कटाई देखने को मिली थी। वहीं नैमेड़ बीट के नयापारा में भी जंगल की कटाई के संकेत दिखाई दे रहे हैं। यहां कुछ ग्रामीण जंगल की कटाई कर रहे हैं। वहीं खेती के लिए जंगल साफ करने और जमीन पर अतिक्रमण करने को लेकर भी लोगों में विवाद हो रहे हैं।
कब्जे की वजह खेती और पट्टे का लालच
कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि नैमेड़ आदिवासी समुदाय की आड़ में वन माफिया काम करते हैं। उनसे जमीन साफ करवा लेते हैं और फिर उस पर कब्जा कर खेती करते हैं। आदिवासी समुदाय गरीब से भी गरीब बना हुआ है। उनका कहना है कि ग्रामीणों को समझ में आने लगा है कि उनका जीवन जंगलों पर निर्भर है। अगर जंगल नहीं होंगे तो न तो मवेशियों को चरने की जगह मिलेगी और न ही बारिश होगी। ग्रामीणों ने इसके लिए पहल भी की है। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण वनों की कटाई नहीं रुक रही है। वहीं कई ग्रामीण पट्टे के लालच में कब्जे के लिए जंगलों की ओर रुख कर रहे हैं।
जानिए क्या कहते हैं जिम्मेदार
जब इस पूरे मामले में रेंजर रामायण मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहले भी जंगल काटे गए हैं, ग्रामीणों को समझाने के बाद भी उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि विभाग इसमें क्या करेगा। हालांकि इसके बाद इंद्रावती डीएफओ संदीप बलगा ने जांच और कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि आप जिस क्षेत्र की बात कर रहे हैं, वहां स्टाफ भेजकर जांच कराऊंगा तथा जो लोग इस प्रकार का कार्य कर रहे हैं, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।