हैदराबाद । तेलंगाना के पेड्डापल्ली जिले निवासी 31 वर्षीय अलकुंटा संपत की निज़ामाबाद पुलिस हिरासत में मौत हुई। संपत पर युवाओं को थाईलैंड, लाओस और म्यांमार में मानव तस्करी के आरोप में 4 मार्च को गिरफ्तार किया था। परिवारवालों ने पुलिस पर थर्ड डिग्री टॉर्चर का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस का कहना है कि संपत की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रोटोकॉल के तहत हो रही है।
बात दें कि मृतक संपत जगित्याल में एक मैनपावर रिक्रूटमेंट ऑफिस चलाता था। पुलिस का आरोप है कि वहां तेलंगाना के युवाओं को बहला-फुसलाकर थाईलैंड, लाओस और म्यांमार भेजता था, जहां उन्हें साइबर स्लेवरी में धकेला जाता था। 12 मार्च को संपत को जांच में सहयोग के लिए पुलिस हिरासत में लिया गया था। 13 मार्च को पुलिस संपत को उनके ऑफिस श्रीराम इंटरनेशनल मैनपावर कंसल्टेंसी से लेकर गई, जहां से दो मोबाइल फोन ज़ब्त किए थे। रात 9:45 बजे संपत को वापस निज़ामाबाद के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन लाया गया था। पुलिस के अनुसार, पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दो लोग साथ रहे थे।
रात करीब 10:10 बजे संपत ने थकान और बाएं हाथ में दर्द की शिकायत की। इसके बा संपत को निज़ामाबाद के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि संपत को खुद चलकर अस्पताल में दाखिल हुआ। पुलिस कमिश्नर पी साईं चैतन्य ने बताया कि रात 11:29 बजे संपत को अचानक कार्डियक अरेस्ट हुआ और वह गिर पड़ा। मेडिकल टीम की तमाम कोशिशों के बावजूद संपत को बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों ने मौत का कारण दिल का दौरा बताया है।
पुलिस कमिश्नर के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि वह खुद चलकर अस्पताल में दाखिल हुए। संपत की मौत के बाद निज़ामाबाद के आई टाउन पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और जांच शुरू कर दी गई है।
हालांकि, गुस्साए परिजनों ने शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और उन्हें निलंबित करने की मांग की है। अस्पताल में तनावपूर्ण स्थिति बनी रही, जहां संपत के परिवारवालों ने विरोध प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि प्रताड़ित करके मारा गया है। उन्होंने 50 लाख रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है।
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