Friday, December 13, 2024

Jannayak Karpuri Thakur जिन्होंने सीएम बनने के बाद बेटों से कहा-लालच मत करना नहीं तो मेरी बदनामी होगी…जानें उनके किस्से

पटना : जननायक कर्पूरी ठाकुर Jannayak Karpuri Thakur जी का जन्‍म शताब्‍दी समारोह 24 जनवरी को मनाया जा रहा है. Jannayak Karpuri Thakur कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे.कर्पूरी ठाकुर बिहार में पहले गैर कांग्रेसी सीएम थे.दलितों के उत्थान के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुरजी की अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने बाने पर अमिट छाप छोड़ी है. सामाजिक न्याय और सबका विकास सुनिश्चित करने की उनकी कोशिशों ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है.भले ही उन्होंने दो बार बिहार जैसे राज्य की कमान संभाली लेकिन अपनी सादगी को कभी अलग नहीं किया.उनके सादगीपूर्ण जीवन के कई किस्से बिहार समेत देश की राजनीति में अक्सर चर्चा में आते रहते हैं.आज हम भी आपको ऐसे ही कुछ खास किस्सों के बारे में बतायेंगे.

Karpuri Thakur
Karpuri Thakur

Jannayak Karpuri Thakur ने बेटों को कहा था लालच मत करना…

70 के दशक में पटना में विधायकों और पूर्व विधायकों के निजी आवास के लिए सरकार सस्ती दर पर जमीन दे रही थी. कर्पूरी ठाकुर के दल के कुछ विधायकों ने उनसे कहा कि आप भी जमीन ले लीजिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया.तब एक विधायक ने उनसे यह भी कहा था कि जमीन ले लीजिए,आप नहीं रहिएगा तो आपका बाल-बच्चा कहां रहेगा.इस पर कर्पूरी ठाकुर का जवाब था कि अपने गांव में रहेगा.जब पहली बार जब वह मुख्यमंत्री बने तो अपने बेटे रामनाथ ठाकुर को पत्र लिखना नहीं भूले.उनके बेटे बताते हैं कि उनके पिता के पत्र में 3 बातें लिखी होती थी,तुम इससे प्रभावित नहीं होना,कोई लोभ लालच देगा तो उस लोभ में मत आना,मेरी बदनामी होगी.

बहनोई की सिफारिश पर नहीं लगाई नौकरी

कर्पूरी ठाकुर से जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे तब उनके बहनोई उनके पास नौकरी के लिए आये और कर्पूरी ठाकुर से कहा कि कहीं सिफारिश से वो उनकी नौकरी लगवा दें.अपने बहनोई की बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए और उसके बाद उन्होंने अपनी जेब से 50 रुपये निकालकर उन्हें दिए.पैसे देने के साथ उन्होंने कहा’जाइए, उस्तरा आदि खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी काम शुरू कीजिए.

पिता को मारने पहुंचे लठैतों को बचाया

कर्पूरीजी जब मुख्यमंत्री थे तो उनके क्षेत्र के कुछ जमींदारों ने उनके पिता को सेवा के लिए बुलाया.उनके पिता बीमार होने के चलते नहीं पहुंचे तो जमींदार ने अपने लोगों से उन्हें मारपीट कर लाने का आदेश दिया.जब इसकी सूचना जिला प्रशासन को हो गयी तो वह तुरंत कर्पूरी के घर पहुंच गए और लठैतों को बंदी बना लिया गया.इतना कुछ होने के बाद भी कर्पूरी ठाकुर ने सभी लठैतों को जिला प्रशासन से बिना किसी शर्त छोड़ने का आग्रह किया.इस पर अधिकारी नहीं माने उन्होंने कहा कि इन लोगों ने मुख्यमंत्री के पिता को प्रताड़ित करने का कार्य किया है. इनको हम किसी भी शर्त पर नहीं छोड़ सकते.तब कर्पूरी ठाकुर ने कहा, पता नहीं कितने असहाय लाचार और शोषित लोग प्रतिदिन लाठियां खाकर दम तोड़ते हैं,क्या सभी मुख्यमंत्री के मां बाप हैं..? इनको इसलिए दंडित कर रहे हो क्योंकि इन्होंने मुख्यमंत्री के पिता को उत्पीड़ित किया.सामान्य जनता को कौन बचायेगा. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि प्रदेश के कोने कोने में हो रहे शोषण उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाओ.एक भी परिवार सामन्तों के जुल्मों सितम का शिकार ना हो पाए.

ये भी पढ़े :- Karpuri Thakur 100th birth anniversary: नीतीश कुमार ने एक तीर से किए कई शिकार…

कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न सम्मान

एक बार उप मुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद कर्पूरी जी रिक्शे से ही चलते थे क्योंकि उनकी आर्थिक हैसियत उन्हें कार खरीदने और उसका खर्च उठाने की अनुमति नहीं देती थी.कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा उनके गांव गए तो कर्पूरी ठाकुर की पुश्तैनी झोपड़ी देख कर रो पड़े थे.कर्पूरी जी के विधायक बनने के बाद एक प्रतिनिधिमंडल में जाने के लिए उनको ऑस्ट्रिया जाना था.वहां जाने के लिए उनके पास कोट ही नहीं था.उन्हें अपने एक दोस्त से मांगना पड़ा. वहीं कहते हैं कि यूगोस्लाविया में मार्शल टीटो ने देखा कि उनका कोट फटा हुआ है तो उन्होंने कर्पूरी जी को एक कोट भेंट किया. 24 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है.इससे पहले मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया है. वे सामाजिक न्याय के वाहक माने जाते हैं.

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news