HMPV in UP : चीन में तबाही मचा रहE HMPV वायरस अब धीरे धीरे भारत के शहरों में भी पैर पसारता नजर आ रहा है. भारत में गुरुवार सुबह तक 11 केसेस का पता चला है. इनमें एक केस उत्तर प्रदेश में भी पाया गया है. लखनऊ में 60 साल की एक महिला की जांच में उनके एचएमपीवी संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. फिलहाल महिला लखनऊ के चरक अस्पताल में भर्ती है. निजी लैब में संक्रमित वायरस की पुष्टि के बाद अब उनके जांच सेंपल को केजीएयू भेजा गया है.
HMPV in UP : उत्तर प्रदेश में सरकार सतर्क
HMPV य़ानी ह्युमन मेटा न्यूमो वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल इससे घबराने की जरूरत नहीं है. अमूमन इस तरह की बीमारी ठंढ़ के दिनों में फैलती है, जिसमें जुकाम,खांसी, बुखार और सीने में जकड़न जैसा समस्या रहती है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीक है कि लगातार पानी पीते रहना, साथ ही भीड़भाड़ वाली जगहों पर सावधानी के साथ मास्क पहनकर जाना और फ्लू जैसे लक्षणों वाले मरीजों से दूरी रहना जरुरी है.
देशभर में एचएमपीवी मरीजों की संख्या हुई 11
लखनउ और गुजरात में मिले एक-एक केस के साथ अब देश भर में इस बीमारी से संक्रमित मरीजों की संख्या 11 हो गई है. इनमें महाराष्ट्र में तीन, गुजरात, कर्नाटक तमिलनाडू में 2 -2,पश्चिम बंगाल औऱ उत्तर प्रदेश में एक-एक केस सामने आया है.देश में एचएमपीवी संक्रमितों की संख्या बढ़ते देख राज्यों ने भी अपने यहां सतर्कता बढ़ाई है. पंजाब सरकार ने बुजुर्गों और बच्चों को सार्वजनिक जगहो पर मास्क पहनने की सलाह दी है. गुजरात के अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं. हरियाणा में भी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को HMPV केसेस पर निगरानी रखने के आदेश दिए हैं.
बच्चों पर वायरस का बुरा प्रभाव
HMPV क ज्यादा असर छोटे बच्चो पर दिखाई दे रहा है.इनमें 2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इस वायरस से संक्रमण होने मरीजों में कोविड-19 क जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. केंद्र सरकार ने देश भर के सभी राज्यों को इन्फ्लूएंजा और सांस संबंधी परेशानियों में निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है, साथ ही HMPV के बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी है.
कैसा है एचएमपीवी वायरस
एचएमपीवी य़ानी ह्युमन मेटा न्यूमो वायरस न्यूमोविरडी वायरस परिवार का है.जानकारों के मुताबिक ये वायरस पिछले करीब 60 साल से वातावरण में मौजूद है. आमतौर पर इसे एक मौसमी बीमारी की तरह ही देखा जाता है. इसके बारे में पहली बार 2001 में में पता चला था. ये वायरस पहल बार नीदरलैंड में बच्चों में पाया गया था. भारत में 2003 में पहली बार इस वायरस के संक्रमण का पता चला था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने पहली बार बच्चों में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि की थी.