शिलांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने भारत को परिभाषित करते हुए कहा कि भारत पश्चिमी अवधारणा वाला देश नहीं है.यह सनातन काल से एक सांस्कृतिक देश रहा है.अतः भारत को देखने का पश्चिमी नजरिया गलत है.वास्तव में भारत ऐसा देश है, जिसने विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाया है.हमारी सभ्यता में अनेक सभ्यताओं को समाहित करने की शक्ति है.तभी भारत अनेक भाषा, वेशभूषा, धर्म, पंथ को मानने वाला देश बन सकने में समर्थ हुआ है. जब हम हिन्दुत्व की बात करते हैं तो केवल एक संम्प्रदाय की बात नहीं करते, हमारे लिए इस देश का प्रत्येक नागरिक हिन्दू है. यह केवल एक पंथ विशेष नहीं है, हिन्दुत्व एक जीवन शैली है, संस्कृति है, जीवन जीने का तरीका है. मगर कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गलत तरह से प्रस्तुत करते हैं. वास्तव में भारत में सांस्कृतिक विविधता वैदिक काल से चली आ रही है. हम आरंभ से मानते आ रहे हैं कि विभिन्न पंथ, विभिन्न सम्प्रदाय, द्वारा अपनी-अपनी उपासना पद्धति को अपनाते हुए सभी का मान-सम्मान करने की हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है.
सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेघालय प्रांत द्वारा आयोजित विशिष्ट नागरिक सम्मेलन (25 सेप्टेम्बर ) में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम जब भारत के विकास की बात करते हैं तो उसमें यहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के विकास की बात करते हैं. उसमें पंथ-सम्प्रदाय को लेकर हमारे मन में कोई भेदभाव नहीं है. संसार में यही एकमात्र ऐसा देश है, जो विभिन्न संस्कृतियों को समाहित कर सदैव से अपनी पहचान बनाए रखने में समर्थ रहा है.
सरसंघचालक ने कहा कि संघ को लेकर लोगों में भ्रांतियां फैलाई जाती हैं. संघ को बदनाम किया जाता है. जबकि वास्तविकता का संघ की शाखा में आने पर ही पता चलता है. संघ को समझने के लिये ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे लोगों की भ्रांतियां दूर हो सकें. हमारा आग्रह है कि आप संघ को नजदीक से जानने के लिए संघ से जुड़ें, संघ को निकट से देखें, अनुभव करें, तब जाकर आपको समझ में आएगा कि संघ क्या करता है. हमारा तो मानना है कि संघ जैसा संगठन और नहीं है. लेकिन, यदि संसार में ऐसे भाव लेकर राष्ट्र को समर्पित कोई संगठन चल रहा है तो हमें प्रसन्नता होगी.
जब हम हिन्दुत्व की बात करते हैं तो केवल एक संम्प्रदाय की बात नहीं करते, हमारे लिए इस देश का प्रत्येक नागरिक हिन्दू है.हिन्दुत्व एक जीवन शैली है,संस्कृति है,जीवन जीने का तरीका है. मगर कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण आरएसएस को गलत तरह से प्रस्तुत करते हैं:मोहन भागवत,आरएसएस प्रमुख pic.twitter.com/Wiz0GYfQj6
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) September 25, 2022