नोटबंदी के 6 साल बाद इससे जुड़ी याचिकाओं पर अब बुधवार से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की संविधान पीठ नोटबंदी की वैधता पर सुनवाई करेगी.आपको बता दें 16 दिसंबर 2016 को नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ बनाने का फैसला हुआ था लेकिन तब इस पीठ का गठन नहीं हो पाया था. 6 साल बाद अब संविधान पीठ का गठन हुआ है जिसमें जस्टिस एस.अब्दुल नजीर अध्यक्ष होंगे. पीठ के सदस्यों के नाम है वी. रामासुब्रमण्यम, बी आर. गवई, बी. वी नागरत्ना, और ए. एस. बोपन्ना.
गुरुवार की सुनवाई में माना जा रहा है कि सिर्फ विस्तार से इस मामले को सुनने के लिए तारीख तय की जाएगी. इस मामले में पीठ जिन सवालों पर सुनवाई करेगी उसमें से कुछ हैं.
केंद्र सरकार की 8 नवंबर की अधिसूचना कानूनन वैध थी या नहीं?
अधिसूचना की वजह से नोट बदलने पर लगी रोक क्या नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं थी?
इसके अलावा इस मुद्दे पर भी सुनवाई होगी कि क्या सरकार की मौद्रिक नीति से जुड़े मामलों पर कोर्ट को सुनवाई करने का हक़ है भी की नहीं?
नोटबंदी पर क्या थी विशेषज्ञों की राय
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने वाला बताया था. अर्थशास्त्र के ज्यादातर जानकारों के मुताबिक नोटबंदी का फैसला भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति की समीक्षा के बिना उठाया गया कदम था. यहाँ तक की नोटबंदी के चलते आई मंदी से बाजार अब तक उबर नहीं पाया है.