मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीईसी को इतना मज़बूत होना चाहिए की अगर प्रधानमंत्री पर भी कोई आरोप लगे तो वो कार्रवाई कर सकें. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि सिर्फ काल्पनिक स्थिति को देख सोंच कर केंद्रीय कैबिनेट पर अविश्वास करना ठीक नहीं है. केंद्र ने कहा अब भी चुनाव आयोग में योग्य लोगों का ही चयन किया जा रहा है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल यानी 24 नवंबर तक सरकार चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल कोर्ट में पेश करे. कोर्ट ने कहा कि वो इन फाइलों के ज़रिए नियुक्ति प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझना चाहता है. मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को फाइलें दिखाने में कोई खतरा नहीं होना चाहिए क्योंकि उसका कहना है कि सब आरोप मनगढ़ंत है.
कोर्ट ने क्यों याद दिलाई कानून बनाने की बात
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि संविधान ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर और दो इलेक्शन कमिश्नरों को बहुत महत्वपूर्ण शक्तियां दी हैं. हलांकि संविधान इनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर चुप्प है. कोर्ट ने कहा कि संविधानिक की इसी चुप्पी का फायदा उठाया जा रहा. कोर्ट ने याद दिलाया कि संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में CEC/ECs की नियुक्ति के लिए कानून बनाने की बात कही गई. कोर्ट ने कहा CEC/ECs की नियुक्ति के वक्त ज्यादा निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की ज़रुरत है. ताकि बेस्ट व्यक्ति ही इस पद पर नियुक्त किया जाए.
याचिका में क्या कहा गया है
2018 में दायर हुई इस याचिका में मांग की गई है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों कि नियुक्ति को ज्यादा पारदर्शी बनाएं जाने की जरूरत है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है. याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की कमिटी को सौंपा जाना चाहिए.
कौन कर रहा है सुनवाई
भविष्य में कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की मांग करने वाली इस याचिका की सुनवाई पांच जजों की बैंच कर रही है. इस बैंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, सीटी रविकुमार अनिरुद्ध बोस, और हृषीकेश रॉय शामिल है.