माओवादियों से कनेक्शन रखने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साई बाबा को बांबे हाइकोर्ट से मिली जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है. बांबे हाइ कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट की विशेष अदालत में सुनवाई हुई.
90 प्रतिशत द्विव्यांग साईबाबा को नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में 2014 में गिरफ्तार किया गया था, बाद में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत मिल गई थी. लेकिन साईबाबा को बरी किये जाे के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लगाई और जमानत रद्द करन की मांग की .जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने मामले की सुनावई की
दिल्ली विवि के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के आरोपसिद्धी और आजीवन कारावास के खिलाफ याचिका स्वीकार करते हुए बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने शुक्रवार को उन्हें बरी करने का आदेश दिया था. जस्टिस रोहित देव और जस्टिस अनिल पासरे की पीठ ने उन्हें तत्काल रिहा करने के आदेश दिये हैं.
शारीरिक रुप से 90 प्रतिशत दिव्यांग प्रोफेसर साईबाबा को 2017 में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली अदालत ने नक्सलियो से संबंध रखने के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.सांई बाबा शुरु से आदिवासियों और जनजातियो के लिए आवाज उठाते रहे हैं. शारीरिक रुप से अक्षम होने के कारण वे व्हीलचेयर पर हैं और वर्तमान में नागपुर केंद्रीय कारा में बंद हैं.