अगर किसी में क्रोनिक किडनी डिजीज है तो इसमें धीरे-धीरे किडनी की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है. इससे एक्यूट किडनी इंज्युरी होने लगती है. ऐसी स्थिति में किडनी को किसी भी तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता है. दुनिया भर में ऐसे लाखों किडनी के मरीज हैं जिन्हें या तो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और धीरे-धीरे मौत का इंतजार करना पड़ता है लेकिन अब उन लाखों मरीजों के लिए खुशखबरी है. वैज्ञानिकों ने चूहों में पूरी तरह से डैमेज किडनी डैमेज को दोबारा से हेल्दी बना दिया है. वैज्ञानिकों ने पहले पता लगाया कि किडनी के डैमेज होने का कारण क्या है जिससे एक्यूट किडनी इंज्युरी होती है. पहले यह जानते हैं कि एक्यूट किडनी इंज्युरी होती क्या है|
क्या होती है एक्यूट किडनी इंज्युरी
एक्यूट किडनी इंज्युरी में अचानक किडनी अपना काम करना बंद कर देती है. लेकिन इससे पहले किडनी के अंदर कई तरह की घटनाएं घटती रहती है. और यहां तक पहुंचने में बहुत समय लगता है. एक्यूट किडनी इंज्युरी के कई कारण हो सकते हैं. अगर किसी कारणवश किडनी तक खून न पहुंचे, किडनी से पेशाब निकालने वाला रास्ता ब्लॉक हो जाए, किडनी डैमेज हो जाए, शरीर में तरल पदार्थों की कमी हो जाए,खून अचानक बहुत ज्यादा निकल जाए, कुछ इंफेक्शन हो जाए, एस्परीन, आइबूप्रोफेन दवा का ज्यादा इस्तेमाल, हार्ट अटैक, लिवर सिरोसिस, एलर्जी, किडनी में पहले से सूजन हो, कुछ कैंसर, नसें डैमेज हो जाए जैसी जटिलताएं एक्यूट किडनी इंज्युरी का कारण है. अगर किसी को एक्यूट किडनी डिजीज हो जाए तो इसका कोई इलाज नहीं है.
वैज्ञानिकों ने कैसे किया कारनाम
साइंस डेली के मुताबिक दरअसल, कोशिकाओं में एक फैटी मॉल्यूक्यूल होता है जिसका नाम सेरामाइड्स है. यह सेरामाइ़ड्स किडनी कोशिकाओं में पावर देने वाले माइटोकॉन्ड्रिया को डैमेज करने लगता है जिसके कारण गंभीर किडनी इंज्युरी हो जाती है. वैज्ञानिकों ने एक नई दवा से इन सेरामाइड्स मॉल्यूक्यूल के फंक्शन को ही पूरी तरह बदल दिया. इससे सेरामाइड्स जो पहले किडनी में चोट पहुंचाने का काम करता था, अब सामान्य हो गया और किडनी अपनी स्वभाविक प्रक्रिया के तहत दोबारा से खुद को रिजेनरेट करने लगा. यूनिवर्सिटी ऑफ उताह हेल्थ के शोधकर्ताओं ने यह कारनामा किया है. डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन एंड इंटीग्रेटिव फिजियोलॉजी के प्रोफेसर स्कॉट समर्स ने बताया कि हमने पहले सेरामाइड को निष्क्रिय करके एक्यूट किडनी इंजरी की पैथोलॉजी को पूरी तरह उलट दिया. जब ऐसा हुआ तो हम हैरान रह गए. इस प्रोसेस के बाद न सिर्फ़ किडनी की कार्यक्षमता सामान्य बनी रही बल्कि माइटोकॉन्ड्रिया भी पूरी तरह सुरक्षित हो गया. यह बेहद दुर्लभ प्रयोग था.
डॉक्टर पहले एक्यूट किडनी इंज्युरी का पता लगा सकेंगे
प्रोफेसर समर्स ने बताया कि किडनी इंज्युरी में सेरामाइड का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. किडनी को नुकसान पहुंचने के तुरंत बाद यह और तेजी से बढ़ता है और इंज्युरी यानी किडनी में डैमैज जितनी गंभीर होती है सेरामाइड का स्तर उतना ही ज्यादा होता है. यह निष्कर्ष डॉक्टरों को एक नई चीज के बारे में बताएगा. इस टेस्ट के माध्यम से यह पहले जाना जा सकेगा कि किसी व्यक्ति में एक्यूट किडनी इंज्युरी हो सकता है. यूरिन में पाए जाने वाले सेरामाइड AKI- एक्यूट किडनी इंज्युरी के शुरुआती बायोमार्कर के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर उन मरीजों की पहचान पहले ही कर सकेंगे जो जोखिम में हैं. हार्ट अटैक या हार्ट सर्जरी वाले मरीजों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. डॉक्टर हार्ट सर्जरी से पहले सेरामाइड्स के आधार पर इसका पता लगा सकता है. प्रोफेसर समर्स ने बताया कि अगर मरीज ऐसी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं जिसके बारे में हमें पता है कि उससे AKI का जोखिम बढ़ता है, तो हम बेहतर अंदाज़ा लगा सकेंगे कि उन्हें वास्तव में यह समस्या होगी या नहीं|

