संवाददाता सुभाष शर्मा, दरभंगा : दरभंगा में एक ऐसा सरकारी स्कूल Govt. School है जो बिहार के शिक्षा विभाग की बदहाली की कहानी कह रहा है. बिहार सरकार के द्वारा शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए BPSC के द्वारा शिक्षक भर्ती परीक्षा के माध्यम से योग्य शिक्षकों की बहाली की जा रही है ताकि बिहार की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा मिल सके. वही दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक अपने सख्त अंदाज में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में दिन-रात एक किए रहते हैं. शिक्षा विभाग के द्वारा छुट्टियों की कटौती कर और शिक्षकों को समय पर स्कूल पहुंचाकर स्कूल का बेहतर संचालन कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है.
Govt. School की बदहाली का कौन जिम्मेवार
दूसरी तरफ दरभंगा जिला के किरतपुर प्रखंड की रसियारी पंचायत के सिरसिया गांव स्थित न्यू प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर है. जहां बच्चों के स्कूल में पढ़ने के लिए सामान्य सुविधाओं का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है. इस विद्यालय के शिक्षक सहित छात्र सड़क पर पॉलिथिन टांगकर पढ़ने पढ़ाने को विवश हैं. विद्यालय का भवन और जमीन नहीं होने के कारण कक्षा 1 से 5 तक कि 174 नामांकित बच्चों की पढ़ाई वर्षों से सड़क पर ही संचालित हो रही है.
जिसमें 98 लड़के और 76 लड़कियां हैं. जमीन और भवन के अभाव में स्कूल का मिड डे मील पशु खटाल में बनता है. तथा सड़क के दोनों किनारे बच्चे बैठकर खुले आसमान के नीचे भोजन करते हैं. स्कूल की शिक्षिका और छात्राएं खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं और उन्हें इस तरीके की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षक विशाल कुमार ने बताया कि ऐसी खराब स्थिति को कल्पना नहीं थी. पर अब जो है, जितना मिला है उसी को सुचारू ढंग से चलाने का प्रयास हम लोगों के द्वारा किया जा रहा है. वहीं उन्होंने बताया कि यहां पर रिसोर्स की बहुत कमी है. पर जो मिला है उसी में हमलोगों को पूरा करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में बच्चों को एक जगह एकत्रित कर बैठना मुश्किल हो जाता है. कई बार बच्चे शौच का बहाना बना कर पीछे से चले जाते हैं.
Govt. School में मिड डे मील भी सड़क के किनारे बैठकर खाते हैं
पांचवी कक्षा की छात्रा अंजनी कुमारी ने बड़े ही उदास मन से बताया की स्कूल की जमीन नहीं होने के कारण हम लोगों को इस प्रकार की स्थिति में पढ़ाई लिखाई करना पड़ती है. स्कूल में भवन हो इसको लेकर हम लोगों ने कई बार अपने प्रिंसिपल से भी कहा है लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला है. जिसके चलते हम लोगों को गर्मी बरसात और ठंडा में संघर्ष करना पड़ता है वही स्कूल के द्वारा दिए जा रहे मिड डे मिल भी हम लोग सड़क के किनारे बैठकर खाते हैं. वही शौच करने की सवाल पर नजर झुका कर कहा की इसके लिए खेतो की ओर खुले में ही जाना पड़ता है.
विभाग की लापरवाही की वजह से NOC नहीं मिल रहा
विद्यालय के प्रधानाध्यापक विद्यानंद प्रसाद ने बताया कि स्कूल के सफल संचालन के लिए 5 शिक्षक हैं. जिसमें से 2 महिला और 3 पुरुष शिक्षक हैं. जिसमें बिहार लोक सेवा आयोग से चयानित 2 और नियोजन से 3 शिक्षक कार्यरत हैं. यहां स्कूल को जमीन देने के लिए दाता लगभग 3 साल से तैयार हैं लेकिन विभाग की लापरवाही की वजह से अंचलाधिकारी एनओसी नही दे रहे हैं. यहां के लोगों को कोई समस्या नहीं है. हम लोगों ने लिख कर विभाग को दिया है. लेकिन कुछ नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया की शौच के लिए निजी स्तर पर व्यवस्था करने का प्रयास कई बार किया गया लेकिन व्यस्था सुधार की ओर विभाग अभी तक कुछ नहीं कर पाया है.
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ग्रामीण विद्यालय के लिए जमीन देने को तैयार
इस स्कूल को जमीन दान देने वाले ग्रामीण पुलेश्वर पांडे ने बताया की प्रशासनिक स्तर से इसमें कमी है. हमलोग तो लगभग 6 महीना पहले लिख कर दिए कि ये जमीन हम विद्यालय के लिए दान में दे रहे हैं. सीओ साहब को भी लिख कर दिए की आप अपने स्तर से जो करवाई होती है वो करवाई कर लीजिए और इसका एनओसी कर दीजिए ताकि मनरेगा से इसका भराई शुरू हो जाएगा और स्थल विकास होने के बाद हमारा विद्यालय वहां बन जाएगा. अब उन्हीं लोगो के स्तर से देर है. विभागीय कमी की वजह से यहां के छात्र और छात्राओं को तकलीफ झेलनी पड़ रही है.