सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश का नाम तय करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्तमान सीजेआई यूयू ललित से उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा है. कानून मंत्रालय की तरफ से मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित को चिट्ठी लिखकर नाम तय करने के लिए कहा गया है.सरकार के इस कदम का मतलब है कि एक बार चीफ जस्टिस अपने उत्तराधिकारी का नाम अगर सरकार को दे देते हैं तो फिर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की बैठक बुलाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगी.
क्या है मुख्य न्यायाधीश के नियुक्ति की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का नाम तय करने के लिए एक परंपरा है जिसके मुताबिक वरीयता क्रम में जो सबसे उपर न्यायाधीश होते हैं उन्हें ही चीफ जस्टिस बनाया जाता है.
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. अगर वरीयता के मुताबिक देखा जाए तो उनके बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनेंगे.
इससे पहले एनवी रमना से भी उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने के लिए कहा गया था.
आपको बता दें कि भारत में चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम का इस्तेमाल होता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पांच सबसे वरिष्ठ जज होते हैं. कॉलेजियम जिन जजों के नाम की सिफारिश करता है,इंटेलिजेंस ब्यूरो उनका बैकग्राउंड चेक करता है फिर केंद्र को रिपोर्ट सौंपी दी जाती है. सरकार अगर चाहे तो इस पर अपनी आपत्ति जता सकती है लेकिन ज्यादातर मामलों में कॉलेजियम का फैसला ही सर्वोपरि होता है.
आम तौर पर सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हो सकते हैं लेकिन भारतीय सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में इंदिरा गांधी के शासन काल में ये परंपरा टूटी थी जब वरिष्ठता को दरकिनार कर जस्टिस ए.एन.रे को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाया गया था.
सरकार के नियम के मुताबिक केंद्रीय विधि न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री , रिटायर हो रहे सीजेआई से अगले न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करने के लिए कहते हैं,फिर कानून मंत्रालय प्रधानमंत्री के साथ इसकी चर्चा करता है और प्रधानमंत्री की तरफ से राष्ट्रपति को नए सीजेआई की नियुक्ति के लिए सलाह दी जाती है.
नए सीजेआई के लिए ये एक मानक प्रकिया है. इस प्रक्रिया के मुताबिक 8 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस यूयू ललित के बाद जस्टिस वी वाय चंद्रचूड़ वरीयता क्रम में सबसे ऊपर हैं. जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ अपने फैसलों को लेकर काफी चर्चा में भी रहते हैं. अभी हाल में मैरिटल रेप और गर्भपात पर उनके फैसले को काफी प्रोग्रेसिव माना गया था.
UAPA के गलत इस्तेमाल के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
UAPA कानून के तहत एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार 84 साल के स्टेन स्वामी को जमानत नहीं मिलने और जेल में उनका निधन हो जाने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने UAPA कानून के दुरुपयोग के खिलाफ अहम टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि नागरिकों की असहमति को दबाने के लिए किसी भी कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपराधिक कानून जिसमें आतंकवाद विरोधी कानून भी शामिल है, का इस्तेमाल नागरिकों के असंतोष या उत्पीड़न को दबाने में नहीं किया जाना चाहिए.
पिता वाई वी चंद्रचूड़ भी रहे हैं भारत के मुख्य न्यायाधीश
11 नवंबर 1959 को जन्मे डी वाय चंद्रचूड़ अगले सीजेआई बन सकते हैं. अगर सरकार मानक प्रक्रिया का पालन करती है तो जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ देश के अगले सीजेआई होंगे. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.
As per the MoP on appointment of Chief Justice of India and Supreme Court Judges, today the Hon’ble Minister of Law and Justice sent a letter to the Hon’ble Chief Justice of India for sending his recommendations for appointment of his successor.
— Ministry of Law and Justice (@MLJ_GoI) October 7, 2022