दिल्ली 11 साल पुराने चर्चित गीतिका शर्मा की मौत के मामले में आरोपी हरियाणा के पूर्व गृहराज्य मंत्री गोपाल कांडा GopalKanda को आरोप मुक्त कर दिया गया है. गोपाल कांडा GopalKanda पर गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप था. गोपाल कांडा GopalKanda के साथ सह आरोपी अरुणा चढ्ठा को भी दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से रिहाई मिल गई है. इस मामले पर चली लंबी सुनवाई के दौरान पुलिस ने 1800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. मामला 2012 का है जब एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की मौत के बाद हरियाणा के गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा को इस्तीफा देना पड़ा था और 18 महीने की जेल की सजा काटनी पड़ी थी.
GopalKanda पर आरोप
गीतिका शर्मा की मौत के बाद उसकी मां अनुराधा शर्मा ने पुलिस को बयान दिया था कि 2006 में गीतिका शर्मा MDLR कंपनी में एक इंटर्न के रुप में शामिल हुई थी, वहीं दो साल बाद ही उसे कंपनी ने प्रमोशन देकर सीनियर केबिन क्रू बना दिया था. 2009 में कंपनी ने गीतिका को MDLR ग्रुप का कोर्डिनेटर बना दिया.बाद में गीतिका को MDLR होटल में ट्रांसफऱ कर दिया गया. इस कंपनी के निदेशक और अध्यक्ष गोपाल कांडा थे. गीतिका की मां ने अपने बयान में कहा था कि गीतिका ने 22 मई 2010 को गोपाल कांडा की कंपनी से इस्तीफा दे दिया था और एमिरेट्स एयरलाइंस ज्वाइन कर लिया था. मां ने कहा कांडा की कंपनी छोड़ने के बाद जब भी गीतिका के पास कांडा का फोन आता था तो वो तनावग्रस्त हो जाती थी. कांडा ने कई बार गीतिका की मां को भी कॉल किया था और उसे वापस बुलाने के लिए कहा था. यहां तक कि आरोपी कांडा ने अमीरात एरलाइंस को एक फर्जी मेल भी भेजा था. इसके बाद गीतिका वापस कांडा की कंपनी MDLR ग्रुप में शामिल हो गई, उसे गोपाल कांडा ने उसे अपनी कंपनी में निदेशक बना दिया लेकिन 2011 में गीतिका ने MBA करने के लिए MDLR कंपनी छोड़ दी थी.
पुलिस ने FIR में क्या क्या लिखा?
पुलिस ने कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की उसके मुताबिक 5 अगस्त 2012 को दिल्ली के अशोक विहार फेज 3 से एक लड़की की मौत की खबर आई. पुलिस के जांच के मुताबिक कॉल पर पहुंचने पर वहां उन्हें 23 साल की गीतिका शर्मा की लाश मिली. उसकी लाश के पास ही एक डायरी रखी थी जिसमें उसने एक पन्ने में सु’साइड नोट लिखा था. सु’साईड नोट में गीतिका ने लिखा था- गोपाल कांडा और अरुणा चडढ़ा ने उनका भरोसा तोड़ा था. गीतिका ने आरोप लगाया इन दोनों ने अपने फायदे के लिए मेरा इस्तेमाल किया.
पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह से गोपाल कांडा का मोटिव शुरु से ही गीतिका के लिए अलग था. कांडा ने अपनी कंपनी में बिना किसी खास अनुभव और डिग्री के उसे सर्वोच्य पद दिये. केवल 12वीं पास गीतिका शर्मा को कंपनी के प्रबंधन में शामिल करना, ये सब शंका पैदा करते हैं. गीतिका शर्मा सीधे गोपाल कांडा को रिपोर्ट करती थी.
गोपाल कांडा की गीतिका पर बुरी नजर -पुलिस
पुलिस ने अपनी चार्जर्शीट में इस बात की ओर इशारा किया था कि गीतिका को लेकर गोपाल कांडा की शुरु से ही नीयत खराब थी. उसे फंसाने के लिए आये दिन कांडा उसे कभी प्रमोशन देकर तो कभी दूसरी तरह से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था. यहां तक कि गोपाल कांडा ने गीतिका का एमिरेट्स एयरलाइंस में सलेक्शन हो जाने के बाद कंपनी को गीतिका शर्मा के खिलाफ जाली दस्तावेज भेज कर फंसाने की कोशिश की, ताकि वो उसके चंगुल से निकल ना जाये .दिल्ली पुलिस ने तमाम आरोप लगाये लेकिन इसे अदालत में साबित नहीं कर पाई.
अदालत ने अपने फैसले में क्या कहा
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 4 अगस्त को गीतिका को उसके फोन पर 4 काल आये थे. जिसमे दो उसके मां और भाई के थे. दो कॉल की जांच पुलिस ने नहीं की है. मिले सबूतों के आधार पर किसी परिचित के द्वारा फोन पर उसे उकसाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
फैसला सुनाते हुए विशेष जज विकास ढुल ने कहा कि 4-5 अगस्त की रात को जब गीतिका बगल के कमरे में सो रही थी, तब मां उससे फोन करके बात करती है ये काफी आसामान्य है. मां बेटी के बीच पिछले झगड़े के कारण बेटी का हालचाल पूछने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है. वहीं जज ने गोपाल कांडा के द्वारा गीतिका को दिये तमाम लाभों के बारे में कहा कि ये हो सकता है की गोपाल कांडा गीतिका के प्रति आकर्षित हो और इसलिए कम योग्यता के बावजूद उसे प्रमोशन दिया और दुबई तक उसे लेने गये हों. लगातार उसे अपने पास बनाये रखने के लिए अनुचित लाभ दिया हो.
तमाम सबूतों और गवाहों के बयान से ये साबित नहीं होता है कि गोपाल कांडा ने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया हो. जो सबूत मिले हैं उसे देखते हुए ये विश्वास नहीं किया जा सकता है कि जिसने उसे योग्यता ना रहने के बावजूद इतने सारे आकर्षक लाभ दिये हों , उसके लिए ऐसी परिस्थितियां पैदा करने का आपराधिक काम करेगा.अदालत में ये साबित हो चुका है कि आरोपी ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से किसी तरह से गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाने का काम नहीं किया है.
जज विकास ढुल ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपी गीतिका पर सुंडले एजुकेशन सोसायटी के दस्तावेजों पर जबरदस्ती हस्ताक्ष के लिए दवाब दे रहा था. ये किसी प्रकार का उत्पीडन नहीं है.