JMM की पूर्व विधायक और शीबू सोरेन की बहु और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन Sita Soren ने मंगलवार को बीजेपी का दामन थाम लिया. यानी एक बार फिर बीजेपी ने साबित किया कि उसकी राजनीति में दाग अच्छे हैं
#WATCH दिल्ली: JMM की पूर्व विधायक और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भाजपा में शामिल हुईं। pic.twitter.com/S9k9UzdnJY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 19, 2024
JMM में नहीं मिला सम्मान-सीता सोरेन
JMM से अपने इस्तीफे पर सीता सोरेन ने कहा, “…मैंने 14 साल तक पार्टी की सेवा की और 14 साल में मुझे जो सम्मान मिलना चाहिए था वो मुझे आजतक नहीं मिला. जिसके कारण मुझे यह बड़ा फैसला लेना पड़ा…”
#WATCH दिल्ली: JMM से अपने इस्तीफे पर सीता सोरेन ने कहा, “…मैंने 14 साल तक पार्टी की सेवा की और 14 साल में मुझे जो सम्मान मिलना चाहिए था वो मुझे आजतक नहीं मिला। जिसके कारण मुझे यह बड़ा फैसला लेना पड़ा…” https://t.co/tZQBbrBUNP pic.twitter.com/xfIX2ALawY
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पीएम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया था स्वागत
4 मार्च को सीता सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही द्वारा 1998 में दिए एक फैसले को बदलते हुए सांसदों को भाषण देने और वोट देने के लिए पैसे लेने के मामले में मुकदमों से छूट देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट की सात न्यायाधीशों की एक बैंच ने सर्वसम्मत फैसला सुनाते हुए 1998 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें नोट फॉर वोट मामलों में छूट दी गई थी. इस फैसले का स्वागत खुद पीएम मोदी ने किया था. पीएम ने पोस्ट किया था, “स्वागतम! माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा. “
क्या है Note for Vote Case
झामुमो सदस्य और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और पार्टी के चार अन्य सांसदों ने 1993 में अल्पमत राव सरकार के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के लिए रिश्वत ली थी. सोरेन के समर्थन से, सरकार अविश्वास प्रस्ताव से बच गई.
सीबीआई ने सोरेन और चार अन्य झामुमो लोकसभा सांसदों के खिलाफ मामला दर्ज किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. 1998 में, जेएमएम रिश्वत मामले में पांच न्यायाधीशों वाली एससी बेंच ने सांसदों और विधायकों को विधायिका में भाषण देने या वोट देने के लिए रिश्वत लेने के लिए अभियोजन से छूट दी थी. इसमें कहा गया कि सांसदों को संविधान के अनुच्छेद 105(2) और अनुच्छेद 194(2) के तहत सदन के अंदर दिए गए किसी भी भाषण और वोट के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट प्राप्त है.
2012 में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की बहू, जामा से झामुमो विधायक सीता सोरेन जब इसी तरह के आरोपों में फंसी तो उन्होंने कोर्ट में एक याचिका दायर कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत अपने पर दायर मामले में छूट देने की मांग की.
सीता सोरेन पर कथित तौर पर झारखंड में 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान रिश्वत लेकर एक विशेष उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने का आरोप है. उस मामले में 2014 में झारखंड HC ने उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद सीता सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.