Wednesday, April 16, 2025

फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट पर FIR, अब नकली डॉक्टरों के खिलाफ पूरे प्रदेश में चलेगी मुहिम

भोपाल : दमोह में फर्जी डॉक्टर जॉन केम द्वारा किए गए ऑपरेशन से कथित रूप से कई लोगों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संज्ञान लिया है. मुख्यमंत्री ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं "प्रदेश में इस तरह के फर्जी डॉक्टरों की जांच कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए." वहीं, दमोह सीएमएचओ की शिकायत पर पुलिस ने फर्जी डॉक्टर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया है. उधर, राष्ट्रीय मानव आयोग की टीम भी इस मामले की जांच करने दमोह पहुंची है.

अधिकारी 2 माह तक दबाए रहे मामला
यह मामला जनवरी- फरवरी 2025 का है, लेकिन घटना के बाद से स्वास्थ्य विभाग मामले को दबाए रहा. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया "डॉ. जॉन केम द्वारा जनवरी-फरवरी माह के दौरान करीबन 15 हार्ट मरीजों की एंजियोप्लास्टी की थी. इसमें से 7 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई. इसकी शिकायत सीएमएचओ से की थी, लेकिन जब उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया तो फिर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को शिकायत भेजी गई." वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और रिपोर्ट मांगे जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया.

उत्तराखंड का रहने वाला है फर्जी डॉक्टर
जिस मिशन हॉस्पिटल में मरीजों के ऑपरेशन किए गए, उसके प्रभारी प्रबंधन पुष्पा खरे ने बताया "डॉक्टर का नाम नरेन्द्र जोन केम है और वह मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है. उसकी हॉस्पिटल में नियुक्ति आईडब्ल्यूयूएस एजेंसी के माध्यम से 1 जनवरी 2025 को की गई थी. नियुक्ति एजेंसी से हुई. इसलिए उनकी डिग्री के संबंध में जानकारी भी नहीं ली गई." अब इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता रवि सक्सेना का कहना है "जांच में पता चला है कि डॉक्टर की डिग्री और अनुभवन पूरी तरह फर्जी है."

कांग्रेस का आरोप, मामले को दबाने की कोशिश
कांग्रेस का आरोप है "अस्पताल ने बिना किसी उसकी जांच के उसे मरीजों की जिंदगी सौंप दी, जोकि गंभीर लापरवाही है. आरोपी के फरार होने से सवाल और गहरा गया है कि क्या प्रभावशाली लोग इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं." कांग्रेस का कहना है "कमलनाथ सरकार के दौरान ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ मुहिम चलाई गई थी, लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आते ही इस अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया."

 

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