Farmers protest: शुक्रवार को किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन के दौरान हरियाणा पुलिस की आंसू गैस के गोले दागने से नेताओं सहित कई किसान घायल हो गए. जिसके बाद प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों- किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) (एसकेएम-एनपी) ने दिल्ली की ओर मार्च कर रहे 101 किसानों के समूह को वापस बुलाने का फैसला किया.
101 किसानों के एक जत्थे ने दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया था
शुक्रवार को शंभू सीमा पर 101 किसानों के एक जत्थे ने दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया, लेकिन उन्हें कुछ मीटर की दूरी पर ही बैरिकेड्स की कतार के कारण रोक दिया गया.
हरियाणा पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए हस्तक्षेप किया और किसानों से आगे न बढ़ने को कहा.
पीटीआई ने सरवन सिंह पंधेर के हवाले से कहा, “हमने कुछ किसानों को लगी चोटों को देखते हुए आज के लिए ‘जत्था’ वापस बुला लिया है.”
किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मार्च कर रहे हैं.
अंबाला में भी लगी पांच या उससे अधिक लोगों के जमा होने पर रोक
इस बीच, अंबाला जिला प्रशासन ने पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के किसी भी गैरकानूनी जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया है.
यूनियन के झंडे थामे किसानों के एक समूह ने घग्गर नदी पर बने पुल पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए लोहे के जाल को नीचे गिरा दिया.
हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाओं को 9 दिसंबर तक निलंबित कर दिया. यह प्रतिबंध डंगडेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहर्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों पर लागू है.
Farmers protest:आज शंभू बॉर्डर पर क्या हुआ
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले एकत्रित हुए किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए केंद्र से कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मार्च कर रहे हैं.
सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोके जाने के बाद किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं.
‘जत्थे’ ने दोपहर 1 बजे अपना मार्च शुरू किया, लेकिन कुछ मीटर की दूरी तय करने के बाद, उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए बहुस्तरीय बैरिकेड्स द्वारा रोक दिया गया.
‘सतनाम वाहेगुरु’ का जाप करते हुए और किसान यूनियन के झंडे और ज़रूरी सामान लेकर ‘जत्था’ बैरिकेड्स की पहली परत को आसानी से पार कर गया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सका.
कुछ किसानों ने लोहे की जाली और कंटीले तारों को हटा दिया, जबकि अन्य ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से लोहे की कीलें उखाड़ दीं.
सुरक्षा के लिए लोहे की ग्रिल वाले सीमेंट बैरिकेड्स के पीछे तैनात सुरक्षाकर्मी किसानों से रुकने का आग्रह करते देखे गए, उन्होंने कहा कि उनके पास आगे बढ़ने की अनुमति नहीं है.
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