Monday, July 21, 2025

सावन में क्यों नहीं खानी चाहिए कढ़ी और साग? आयुर्वेदिक वजहें जानकर यकीनन आप भी सोच में पड़ जाएंगे

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सावन का महीना आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है, बारिश का सुहावना मौसम दिल को सुकून देता है और धार्मिक माहौल हर जगह महसूस होता है. इस पवित्र महीने में लोग व्रत रखते हैं, शिव पूजा करते हैं और खानपान में भी खास सावधानी बरतते हैं. आमतौर पर लोग नॉनवेज से दूरी बना लेते हैं, तले-भुने खाने से परहेज करते हैं और सात्विक भोजन को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इस महीने में कढ़ी और साग जैसे स्वादिष्ट और देसी खाने को भी मना किया जाता है? यह जानकर हैरानी जरूर होती है, क्योंकि कढ़ी-चावल और साग-रोटी तो हर घर में पसंद किए जाते हैं. फिर आखिर क्यों आयुर्वेद इन्हें सावन में खाने से मना करता है? क्या इसके पीछे कोई धार्मिक वजह है या सेहत से जुड़ा बड़ा कारण? आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों कहा जाता है और सावन में किन चीजों का सेवन करना चाहिए ताकि सेहत भी बनी रहे और मौसम का लुत्फ भी उठाया जा सके.

बरसात में डाइजेशन रहता है कमजोर
आयुर्वेद के अनुसार, सावन यानी मॉनसून का मौसम हमारे पाचन तंत्र के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है. इस दौरान वातावरण में बहुत ज्यादा नमी होती है, जिससे शरीर की अग्नि यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. जब पाचन कमजोर होता है, तब भारी, खट्टे या ठंडे पदार्थों को पचाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कुछ खास चीजें खाने से पेट में गैस, अपच, एसिडिटी या ब्लोटिंग जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.
कढ़ी क्यों नहीं खानी चाहिए?
कढ़ी बेसन और छाछ से बनती है और दोनों ही चीजें सावन के मौसम में पेट पर भारी पड़ती हैं. इस मौसम में गायें गीली घास खाती हैं, जिससे दूध और उससे बनी छाछ की तासीर बदल जाती है. ऐसी छाछ ठंडी और भारी मानी जाती है, जिसे पचाना आसान नहीं होता. ऊपर से बेसन खुद में भारी होता है और छाछ के साथ मिलकर ये मिक्स पाचन पर असर डालता है. इससे गैस, अपच और एसिडिटी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

साग से भी हो सकता है नुकसान
सावन के महीने में पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, सरसों या मेथी भी कम से कम खानी चाहिए. दरअसल, ये सब्जियां ठंडी तासीर की होती हैं और इस मौसम में आसानी से पचती नहीं हैं. साथ ही, बारिश के कारण मिट्टी में बैक्टीरिया, फंगस और कीड़े ज्यादा हो जाते हैं, जो साग की पत्तियों में छिपे रह सकते हैं. अच्छे से धोने और पकाने के बावजूद इनमें कीटाणु रह सकते हैं, जो फूड पॉइजनिंग या पेट से जुड़ी बीमारियां दे सकते हैं.
क्या खाएं सावन में?
इस मौसम में हल्का और सुपाच्य खाना ही सबसे सही रहता है. जैसे- खिचड़ी, मूंग दाल, लौकी, तुरई, सहजन, आलू, परवल जैसी सब्जियां. इन सब्जियों की तासीर गर्म होती है और ये पेट पर ज्यादा भार नहीं डालतीं. इसके अलावा दूध, छाछ की जगह गुनगुना दूध या हल्दी वाला दूध पीना फायदेमंद होता है. मौसमी फल जैसे सेब, केला, नाशपाती, और पपीता खाना अच्छा रहता है. ड्राई फ्रूट्स और बीज जैसे अखरोट, चिया सीड्स और अलसी भी इम्युनिटी बढ़ाते हैं.

इन बातों का रखें खास ध्यान
तली-भुनी चीजें जितना हो सके कम खाएं. बाहर का खाना और खुले में रखे फूड्स से परहेज करें. पीने के पानी को उबालकर या फिल्टर करके ही इस्तेमाल करें. हल्का व्यायाम और प्राणायाम करें जिससे पाचन अच्छा रहे. ज्यादा खट्टी, ठंडी और भारी चीजों से दूरी बनाएं.

सावन का महीना सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि शरीर को डिटॉक्स करने का भी समय होता है. ऐसे में सही खानपान सेहत को बनाए रखने में मदद करता है. कढ़ी और साग जैसी चीजें स्वाद में तो लाजवाब हैं, लेकिन सावन के मौसम में इन्हें खाने से परहेज करके आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार खानपान में थोड़े बदलाव से आप बिना दवा के कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं.

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