“जीवन है तो परेशानियां भी होंगी” यह सिर्फ कहावत मात्र नहीं, बल्कि जीवन से जुड़ा एक कड़वा सच है. क्योंकि जीवन की निरंतरता, विकास और संघर्ष ही उसे अर्थपूर्ण बनाते हैं. परेशानियां अनुभव देती हैं और हमें सही-गलत के बीच अंतर भी सिखाती हैं. वैसे तो, ये समस्याएं एक समय के बाद कम हो जाती हैं, लेकिन कुछ लोगों की समस्याएं हैं कि मिटने का नाम ही नहीं लेती हैं. अगर आप ऐसे ही लोगों में हैं तो चतुर्थी तिथि की सुबह एक आसान उपाय कर सकते हैं. यह तिथि 10 अक्टूबर को पड़ रही है. अब सवाल है कि आखिर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि कब है? संकष्टी चतुर्थी पर किसकी पूजा होती है? संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी का पूजा करने के लाभ क्या हैं?
संकष्टी चतुर्थी तिथि का महत्व
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे नियम और विधि-विधान से व्रत रखता है, उसे मनचाहा फल अवश्य मिलता है.
संकष्टी चतुर्थी पर इन मंत्रों के जप से होगा लाभ
ॐ सुमुखाय नम: सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे.
ॐ दुर्मुखाय नम: मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराएं.
ॐ मोदाय नम: मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले. उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जाएं.
ॐ प्रमोदाय नम: प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं. भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है यानी आलसी. आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है. और जो प्रमादी नहीं होता है, वहां लक्ष्मी स्थायी होती हैं.
ॐ अविघ्नाय नम: यह मंत्र गणेश जी से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने और बिना किसी विघ्न के कार्य सिद्ध करने की प्रार्थना है, ताकि जीवन में शांति और सफलता बनी रहे.
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: यह मंत्र नहीं, बल्कि इसका एक भिन्न रूप लग रहा है. अधिक प्रचलित मंत्र “विघ्नकरत्र्येय” के बजाय “विघ्नहर्त्र्येय” या “विघ्नेश्वराय” हो सकता है, जिसका अर्थ “बाधाओं को दूर करने वाले देवता” होता है.