हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जिसे भगवान शिव को समर्पित माना गया है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
वैशाख माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब है?
वैशाख शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत इस वर्ष 9 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा. यह तिथि विशेष रूप से शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जानी जाती है.
पूजा विधि और विशेष उपाय
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन व्रतधारी को प्रदोष काल में शोडशोपचार विधि से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
दूध में गंगाजल और शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें.
बेलपत्र पर “राम” नाम लिखकर भगवान को अर्पित करें.
दीपक, धूप, नैवेद्य और फूलों से शिव-पार्वती की पूजा करें.
ऐसा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और व्रती की सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई दोपहर 2:32 बजे से होगी और इसका समापन 10 मई शाम 4:23 बजे होगा.
प्रदोष काल में पूजा करने का शुभ समय 9 मई को शाम 7:01 बजे से रात 9:08 बजे तक रहेगा. इस अवधि में पूजा करना अत्यंत फलदायी रहेगा.
बनेगा शुभ संयोग, हस्ता और चित्रा नक्षत्र का संगम
इस बार के प्रदोष व्रत पर विशेष योग बन रहे हैं. उस दिन हस्ता और चित्रा नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. साथ ही वज्र योग और सिद्ध योग भी इस दिन बन रहे हैं, जिससे व्रत और भी अधिक फलदायक माना जा रहा है.