वैशाख का महीना धार्मिक अनुष्ठान व्रत आदि करने के लिए बेहद ही खास और विशेष फल देने वाला होता है. इस मास में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार किया जाता है तो व्यक्ति को उसका संपूर्ण से अधिक अक्षय फल मिलता है. वैशाख मास जहां भगवान विष्णु को समर्पित बताया गया है तो वहीं भगवान शिव की आराधना के लिए भी खास है.
मान्यता है कि इस महीने में शिव के स्तोत्र आदि का पाठ खास दिन करने पर जीवन मरण के बंधन कट जाते हैं और भगवान शिव सभी मनोरथ पूर्ण कर देते हैं. वैशाख शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत के दिन अगर शिव महापुराण में वर्णित एक खास स्तोत्र का पाठ विधि अनुसार किया जाए तो साधक को भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है.
विवाह की अड़चनें होती हैं खत्म!
इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं की वैशाख का महीना धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है. इस मास में प्रदोष व्रत का आगमन दो बार होता है. प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित खास दिन है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा आराधना करने पर जहां शादी विवाह में आने वाली अड़चनें खत्म हो जाती हैं तो वही शिव महापुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथो में वर्णित भगवान शिव के चमत्कारी स्तोत्र ‘शिव महिम्न’ का पाठ करने से जन्म मरण के सभी बंधन कट जाते हैं. शास्त्रों में शिव महिम्न स्तोत्र का बहुत अधिक महत्व बताया गया है.
कब होगा व्रत
वैशाख शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 9 मई को होगा. इस दिन शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ सुबह, दोपहर और प्रदोष काल यानी सायंकाल किया जाए तो साधक के जन्म मरण के सभी बंधन कटने के साथ ही मरणोपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है और डर पर विजय मिल जाती है. शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ सांयकाल (प्रदोष काल) यानी सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद करने से विशेष फल मिलता है.
इस दौरान भगवान शिव की पूजा आराधना, भगवान शिव का अभिषेक और इस स्तोत्र का पाठ वैशाख शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 9 मई के दिन किया जाए तो साधक के जीवन में सुख समृद्धि, खुशहाली और धन का आगमन हो जाता है. ऐसे भक्तों पर भगवान शिव सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं.