Tuesday, August 5, 2025

इस रक्षाबंधन पूजा की थाली में रखें ये 5 चीजें, भाई की उम्र और सौभाग्य दोनों बढ़ेंगे!

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भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित रक्षाबंधन का त्योहार कुछ ही दिनों में पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस साल यह पर्व 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. यह सिर्फ एक धागा बांधने की परंपरा नहीं है, बल्कि भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक है. हर साल रक्षाबंधन के समय बहनों के मन में एक सवाल जरूर रहता है कि राखी (Rakhi 2025) बांधने का सही समय क्या है और क्या भद्रा का असर रहेगा.

उन्होंने बताया कि इस वर्ष रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 2 बजकर 15 मिनट तक सौभाग्य योग और ब्रह्म मुहूर्त (Rakhi Murhat) का संयोग रहेगा. फिर उसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा.
इस बार नहीं रहेगा भद्रा
पंडित दीपलाल ने स्पष्ट किया कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का कोई साया नहीं रहेगा. न ही कोई ग्रहण का असर होगा. यानी इस बार रक्षाबंधन पर कोई रुकावट नहीं आएगी और बहनें पूरे विधि-विधान से अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी. उन्होंने बताया कि इस बार ब्रह्म मुहूर्त में भाई स्नान और ध्यान करके पूजा-पाठ के बाद बहन के घर जाए. बहन पूजा की थाली तैयार करके उसमें हल्दी लगे पीले चावल, मिठाई, घी का दीपक, धूप और रक्षासूत्र रखे.

उन्होंने बताया कि (Rakhi Puja Vidhi) पूजा के समय पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भाई को बैठाए. पहले तिलक लगाए, फिर अक्षत चढ़ाए और मिठाई खिलाकर राखी बांधे. यह प्रक्रिया श्रद्धा के साथ करनी चाहिए ताकि भाई-बहन के रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.
राखी बांधते समय इस मंत्र का करें जाप
पंडित दीपलाल जयपुरी ने बताया कि राखी बांधते समय बहन को एक विशेष मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. यह मंत्र है — “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः,vतेन त्वां मनु बध्नामि, रक्षे माचल माचल.”

उन्होंने बताया कि यह मंत्र सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है. रक्षाबंधन का त्योहार त्रेतायुग के राक्षस कुल में जन्मे राजा बलि की कहानी से भी जुड़ा है. राजा बलि एक महान दानी और शक्तिशाली राजा थे. उन्होंने कई यज्ञ करके स्वर्ग पर अधिकार करने की कोशिश की थी. तब देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी और भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी.
जब राजा बलि की वीरता से खुश हुए विष्णु
राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि दान में दे दी. भगवान विष्णु ने पहले पग में आकाश, दूसरे में पाताल को नाप लिया और तीसरे पग के लिए जब जगह नहीं बची तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया. राजा बलि की इस दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने वर मांगा कि भगवान विष्णु उनके साथ पाताल लोक में रहें. भगवान ने वचन निभाया और पाताल चले गए.

इससे देवी लक्ष्मी बहुत चिंतित हुईं. अपने पति को वापस लाने के लिए उन्होंने भगवान शिव से सहायता मांगी. भगवान शिव ने उन्हें प्रिय वासु नाग का रक्षासूत्र दिया. जिसके बाद लक्ष्मी एक नाग कन्या के रूप में राजा बलि के पास गईं और उन्हें भाई मानते हुए राखी बांधी. बदले में उन्होंने भगवान विष्णु को वापस भेजने का वचन लिया. इस प्रकार लक्ष्मी जी द्वारा राजा बलि को राखी बांधने की यह कथा रक्षाबंधन के पर्व से जुड़ी हुई है.

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