करवाचौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। सनातन धर्म में पत्नी द्वारा पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए ये व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत शिव और पार्वती जी के आदर्श प्रेम का प्रतीक भी है। करवाचौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। व्रत का संकल्प, सूर्य-चंद्र पूजा, करवे का पूजन और निर्जला व्रत करने से पति की लंबी उम्र और दंपति के बीच प्रेम बढ़ता है।
पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के उपाय: करवाचौथ पर पति की लंबी उम्र और दंपति के प्रेम को बढ़ाने के लिए निम्न उपाय किए जाते हैं-
सुबह का स्नान और साफ-सफाई
व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं गंगा या किसी पवित्र जल में स्नान करके दिन की शुरुआत करें। घर और पूजा स्थल की सफाई कर, दीप और फूलों से सजाएं।
सूर्य देव और चंद्रमा की पूजा
सुबह सूर्य को अर्घ्य दें और शाम को चंद्रमा की पूजा करें। शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्य और चंद्रमा की पूजा जीवन शक्ति और प्रेम बढ़ाने में सहायक होती है।
करवा और सिंदूर का पूजन
मिट्टी या धातु के करवे में जल और हल्दी, गुड़, चावल रखकर उसकी पूजा करें। सिंदूर और मेहंदी का विशेष महत्व है। इसे अपने हाथों और करवे में रखें।
व्रत का संकल्प और कथा का पाठ
करवाचौथ व्रत का संकल्प लें और कथा सुनें। कथा में शिव-पार्वती और समर्पण का महत्व बताया गया है, जो पति-पत्नी के प्रेम को बढ़ाता है।
उपवास और रात का चंद्र दर्शन
दिनभर निर्जला व्रत रखें और रात में साथ बैठकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। पति का हाथ पकड़कर उन्हें देखने से प्रेम और श्रद्धा बढ़ती है।
करवा चौथ शास्त्रीय महत्व
शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ व्रत रखने से पति की लंबी उम्र होती है। दंपति के बीच आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है। परिवार में सुख, समृद्धि और सामंजस्य बना रहता है।
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