आश्विन पूर्णिमा को बेहद खास और विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है. इस दिन धार्मिक कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, गंगा स्नान, व्रत आदि करने पर भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भक्ति करने के लिए आश्विन मास बेहद खास है. इस मास में पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और देवी मां स्वर्ग लोक से धरती लोक पर आकर भक्तों का कल्याण करती हैं. आश्विन मास चातुर्मास का महीना है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने पर कई गुना फल प्राप्त होने की धार्मिक मान्यता है. चलिए विस्तार से जानते हैं.
शिव के पास सृष्टि का संचालन
हरिद्वार के विद्वान पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि आश्विन मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस मास में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना, पूजा पाठ, व्रत आदि किए जाते हैं क्योंकि इस दौरान भगवान शिव ही पूरी सृष्टि का संचालन करते हैं. आश्विन मास कृष्ण पक्ष में जहां पितरों को शांति देने और मोक्ष दिलाने के लिए पितृपक्ष के दिनों का आगमन होता है, वहीं आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रकट नवरात्रि का आगमन होने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आश्विन मास में ही पितृ पूर्वज अपने वंशजों के पास धरती लोक पर आते हैं और देवी मां भी स्वर्ग लोक से आकर भक्तों का कल्याण करती हैं.
दुखों का नाश
आश्विन मास की पूर्णिमा पर यदि हरिद्वार में गंगा स्नान दान और भगवान शिव माता पार्वती की आराधना पूजा पाठ की जाए तो जीवन में चल रही सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. आश्विन पूर्णिमा 7 अक्टूबर मंगलवार को होगी. इस दिन गंगा में स्नान करने से दैहिक, दैविक और भौतिक यानी शरीर संबंधी समस्याएं, दैविक आपदाएं से होने वाले दुखों और भौतिक प्रकार के दुखों का नाश हो जाता है. हरिद्वार में भगवान शिव की ससुराल है इसलिए आश्विन पूर्णिमा पर यहां गंगा स्नान दान और भगवान शिव की आराधना करने का सबसे अधिक महत्त्व बताया गया है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 4:13 से 6:27 बजे तक गंगा स्नान करने का शुभ मुहूर्त है.