वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश छोटी-छोटी चीजों पर भी निर्भर करता है. जैसे आपके घर के दरवाजे की दिशा. अगर आप का प्लॉट दक्षिण मुखी है तो ऐसी स्थिति में आप कुछ उपाय कर सकते हैं.
सनातन धर्म कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य जब शुरू किया जाता है. तो शुभ मुहूर्त के अनुसार ही किया जाता है. ठीक उसी प्रकार अगर आप घर बनवाने की सोच रहे हैं और आपका प्लांट दक्षिण दिशा की तरफ है तो ऐसी स्थिति में वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार को पूर्व या फिर उत्तर अथवा पूर्व दिशा में रखना सबसे उत्तम माना जाता है.
अगर आप दक्षिण दिशा की तरफ घर का मुख करते हैं. तो वास्तु दोष का खतरा भी बना रहता है. अब वास्तु दोष को कम करने के लिए घर में भगवान गणेश और हनुमान जी की प्रतिमा अथवा यंत्र लगाना चाहिए.
अयोध्या के ज्योतितिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि मुख्य द्वार को दक्षिण पूर्व या फिर उत्तर पूर्व दिशा में बनाने का प्रयास करना चाहिए. घर का ढलान उत्तर दिशा की तरफ करना चाहिए.दक्षिण मुखी घर के दोष दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक और हनुमान जी की प्रतिमा लगा सकते हैं.
घर के दक्षिण दिशा वाले मुख्य द्वार पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. ऐसा करने से वास्तु दोष के साथ अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है .इसके अलावा अगर आप मुख्य द्वार पर हनुमान जी महाराज की प्रतिमा स्थापित करते हैं तो यह भी शुभ माना जाता है सभी अशुद्ध शक्तियां दूर होती हैं .
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को यम देवता का निवास स्थान और पितरों की दिशा माना गया है. इसलिए घर या प्लांट का मुख यदि दक्षिण की ओर होता है, तो इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है. इस स्थिति से बचने के लिए यमदेव महाराज की पूजा और आराधना करना चाहिए, साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान आदि का आयोजन करना लाभकारी होता है.
अगर आपका प्लांट दक्षिण मुखी है तो ऐसी स्थिति में वास्तु के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है. उदाहरण के लिए, दक्षिण मुखी घर में मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व कोने की ओर होना चाहिए, जबकि बेडरूम उत्तर या पूर्व कोने में स्थित होना चाहिए और मुख्य बेडरूम उत्तर दिशा में होना लाभकारी माना गया है. इसके अलावा, घर के दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है.
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