देशभर में लगातार चल रहे विवादों के बीच बॉयकॉट की मांग के बीच आखिरकार दी केरल स्टोरी सिनेमा घरों में रिलीज़ हो चुकी है. तो आज हम इसी फिल्म का रिव्यू करेंगे. फिल्म रिव्यु शुरू करने से पहले एक नसीहत कृपया कमज़ोर दिल वाले फिल्म न देखने जाए. तो 5 मई को रिलीज हो चुकी दी केरल स्टोरी को लेकर फिल्म मेकर्स ने कड़े विर्ध के बाद कुछ बदलाव के साथ सिनेमा घरों में रिलीज़ किया. फिल्म कुछ सत्य घटना पर आधारित है. वैसे सत्यघटनाओं पर आधारित फिल्मों को बनाना ना केवल फिल्म मेकर्स के लिए दिलचस्प रहता है. बल्कि दर्शकों को भी खूब लुभाता है. लेकिन इस तरह का कंटेंट बनाना भी अपने आप में बड़ा चैलेंज है. क्योंकि यहाँ मामला सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि सच्च दिखाने की ज़िम्मेदारी लोगों की भावनाओं का भी ध्यान रखना पड़ता है. तो आइये जानते हैं दी केरल स्टोरी इन तमाम ज़िम्मेदारियों में कितनी खरी उतरी.
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो दिखाया गया है कैसे भोली भाली लड़कियों को ट्रैप कर उनका ब्रेनवॉश कर उन्हें न केवल लव जिहाद बल्कि धर्मानतरण और अंत में आतंकवाद का मोहरा बनाया जाता है. ये कहानी ऐसी तीन लड़कियों के बारे में है जो इस अपराध का शिकार हुई. लेकिन ये कहानी सिर्फ तीन लड़कियों की नहीं बल्कि उन तमाम लड़कियों और नौजवानों की ही जो अपने रस्ते से भटक जाती हैं. फिल्म रियल लोकेशन पर शूट किया गया. फिल्म में ISIS जैसे आतंकी संगठों की क्रूरता को काफी हदतक दिखने का प्रयास किया गया. और ये भी बताया गया कि देश के अंदर भी उनके नापाक मंसूबों को किस तरह अंजाम दिया गया. कुल मिलकर फिल्म कहानी न केवल मनोरंजन के लिए है बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए एक सीख भी देकर जाती है. फिल्म में तीन मुख्या किरदार है. अहम भूमिका में फातिमा उर्फ शालिनी उन्नीकृष्णन जिसे अदा शर्मा ने निभाया है. इनके अलावा फिल्म में शालिनी अपनी रूममेट्स गीतांजलि जो की सिद्धि इदनानी, निमाह जो योगिता बिहानी हैं और आसिफा जिसका किरदार निभाया है सोनिया बलानी ने। फिल्म में ये चारो लड़कियां एक ही कॉलेज में पढ़ती हैं. एक रूम शेयर करती हैं. लेकिन आसिफा ISIS जैसे आतंकी संघठन के लिए लड़कियों गैरमजहबी लड़कियों को भड़का कर इस्लाम कबूल कराने और उन्हें अफगानिस्तान और सीरिया जैसी जगहों पर भेजने का काम करती है.
फिल्म में दिखाया गया कैसे बेहद सोची समझी साजिश के तहत पहले लड़कियों को उनके धर्म और माता पिता के खिलाफ भड़काया जाता है. हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जाता है.
फिल्म का रिव्यू
अब बात रिव्यू की करें तो निर्देशक के रूप में सुदीप्तो सेन अपने किरदारों और फिम के ज़रिये डर और बेचैनी पैदा करने में कामयाब रहे हैं. फिल्मे में काफी खूनखराबा और क्रूरता दिखाई गई है. जो हर किसी के देखने के लिए नहीं है. लेकिन ऐसा करना फिल्म की स्क्रिप्ट की डिमांड थी. इसलिए फिल्म देखने की इजाज़त केवल 18 साल से ऊपर के दर्शकों को है. फिल्म के कई सीन आपके रोंगटे खड़े करेंगे. युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकवाद के गर्त में डुबाना एक बेहद गंभीर मुद्दा है, और इस मुद्दे को इस फिल्म के ज़रिये उन्होंने बखूबी उठाया है. फिल्म में लड़कियों का ब्रेनवॉश किए जाने की प्रक्रिया बहुत ही बचकानी लगती है. जो कई मौकों पर आपको भी महसूस होगी. इसके अलावा फिल्म में हिंसात्मक और बलात्कार वाले दृश्य कमजोर दिल वालों को दहला सकते हैं. कई ऐसे डायलॉग्स भी हैं, जो दूसरे समुदायों और विचारधारा के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचा सकते हैं. फिल्म कई जगहों पर स्लो लगी जो की बेहतर हो सकती थी. फिल्म में जहाँ एक तरफ केरला की ख़ूबसूरती और अफगानिस्तान की दहशत को प्रशांतनु मोहापात्रा की सिनेमटोग्राफी अच्छे से पेश किया गया.
बाकि बची एक्टिंंग के मामले में अदा शर्मा ने शालिनी के रूप में जहां एक ओर अपनी मासूमियत बिखेरी, तो दूसरी तरफ फातिमा के रूप में डर भी यानी उन्हने बेहद उम्दा भिनाय किया है. ये फिल्म उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित होगी. फिल्म में हर इमोशन को उन्होंने बखूबी कैरी किया है. वहीं सहेलियों के रूप में योगिता बिहानी और सिद्धि इदनानी ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ पूरी तरह से इंसाफ किया है. इसी के साथ भारत नाउ की तरफ से इस फिल्म को 5 में से 4 स्टार दिए जाते हैं. फिल्म आपके नजदिकी सिनेमा घरों में लग चुकी है. अभी जाइए और इस फिल्म को देख अपनी राय सपष्ट करें.