दिल्ली,21 फरवरी । क्या खत्म हो जाएगी धरती. क्या धरती का नामोनिशान मिट जाएगा. इस तरह की बातें फिर शुरू हो गई हैं जबसे ये पता चला है कि एक एस्टेरॉयड Asteroid यानी अंतरिक्ष में घूमता एक विशाल चट्टान का टुकड़ा पृथ्वी से टकराने वाला है. अंतरिक्ष पर नजर रखने वाले और अंतरिक्ष पर रिसर्च करने वाली संस्था नासा NASA की नजर एक एस्टेरॉयड पर पड़ी जो अंतरिक्ष में घूमता हुआ तेजी से धरती की तरफ बढ़ रहा है. नासा ने चेतावनी दी है कि 2024 YRA नाम का एस्टेरॉयड धरती से टकराने वाला है.
Asteroid अंतरिक्ष में घूमने वाले चट्टानी टुकड़े होते हैं
दरअसल अंतरिक्ष में अलग-अलग ग्रहों पर हर वक्त कुछ न कुछ रासायनिक प्रतिक्रिया होती रहती है. इन केमिकल रिएक्शन की वजह से कई बार ग्रहों में विस्फोट होता है और उसके कुछ टुकड़े टूट कर अलग हो जाते हैं . कई बार आपस में टकराने से भी ग्रहों के कुछ हिस्से टूट कर बिखर जाते हैं. इन टूटे हुए चट्टानी टुकड़ों को ही एस्टेरॉयड कहते हैं. कई बार ये एस्टेरॉयड कई कई किलोमीटर लंबे और चौड़े होते हैं और इनकी स्पीड कई सौ किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. आपको बता दें कि एस्टेरॉयड के टकराने से ही धरती से डायनासोर का खात्मा हुआ था. जिस एस्टेरॉयड के टकराने से डायनासोर का नामोनिशान मिट गया उसका आकार 10 से 15 किलोमीटर चौड़ा था.
नासा ने दी है चेतावनी
नासा की चेतावनी के बाद इंटरनैशनल एस्टेरॉयड वार्निंग नेटवर्क सतर्क हो गया है और इसकी निगरानी में लग गया है और प्रयास कर रहा है कि इसकी दिशा को बदल दिया जाय.संयुक्त राष्ट्र के स्पेस मिशन प्लानिंग एडवाइजरी ग्रुप को भी सतर्क कर दिया गया है. वैसे राहत की बात ये है कि 2024 YRA नाम का ये एस्टेरॉयड मात्र 100 मीटर लंबा-चौड़ा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 100 मीटर चौड़ी अंतरिक्ष चट्टानें लगभग हर कुछ हजार साल पर पृथ्वी से टकराती हैं.
इस साइज के चट्टान के टकराने से पूरा का पूरा शहर तबाह हो सकता है. अगर अंतरिक्ष में घूमता ये चट्टानी टुकड़ा पृथ्वी से टकरायेगा तो ये लगभग 8 मेगाटन एनर्जी पैदा करेगा. 8 मेगाटन की यह एनर्जी हिरोशिमा पर गिरने वाले परमाणु बम से 500 गुना ज्यादा एनर्जी होगी. यानी 100 मीटर का चट्टानी टुकड़ा पृथ्वी पर परमाणु बम की तरह गिरेगा जो हिरोशिमा पर गिराये गये परमाणु बम से 500 गुना ज्यादा पावरफुल होगा.
Asteroid 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है
फिलहाल इस एस्टेरॉयड के बारे में नासा का कहना है कि ये 23 दिसंबर 2032 तक पृथ्वी से टकरा सकता है. इसके टकराने से जो इलाके प्रभावित होंगे उनमें पूर्वी प्रशांत, नॉर्थ साउथ अमेरिका, अटलांटिक, अफ्रीका के कुछ हिस्से, अरब सागर और दक्षिण एशिया शामिल है. मुंबई,कोलकाता,ढ़ाका,बोगोटा और लागोस जैसे शहर इसके रिस्क जोन में आते हैं. वैसे ज्यादा संभावना ये है कि एस्टेरॉयड बिना नुकसान पहुंचाया पृथ्वी के पास से गुजर जाएगा. क्योंकि एस्टेरॉयड का खतरा बताने वाली टोरिनो इंपैक्ट हैजर्ड स्केल पर इसे मात्र 3 की रेटिंग दी गई है जो नजदीक के टक्कर को बताता है लेकिन निश्चित टकराव को नहीं बताता है. अगर इसकी रेटिंग और ज्यादा होती तो टकराना तय हो जाता.
Asteroid पर रखी जा रही निगरानी
फिलहाल अंतरिक्ष में घूमते इस 100 मीटर के चट्टानी टुकड़े पर निगरानी रखी जा रही है. ये चट्टान का टुकड़ा तब तक अंतरिक्ष एजेसियों की रिस्क लिस्ट में रहेगा जब तक कि 2028 में ये फिर से ना दिख जाय. 2028 में अगर ये दिखता है तो 2032 के लिए पूर्वानुमान और अच्छे से लगाया जा सकेगा. फिलहाल तो इससे डरने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर 2028 के बाद भी ये धरती की तरफ बढ़ता रहा तो जरूरत पड़ने पर इस पर डाट जैसा मिशन करना पड़ेगा यानी इस विशाल टुकड़े को धरती से टकराने से पहले ही अंतरिक्ष में ही नष्ट करना पड़ेगा. ब्यूरो रिपोर्ट