बिहार: नीतीश कुमार Nitish Kumar ने बिहार में सियासी खेला कर दिया है. एक बार फिर पलटी मार दी और फिर एनडीए से हाथ मिला लिया है.नीतीश के सियासी एग्जिट के अपने कई कारण हैं लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में ये कहानी निकल कर आई है कि पूरे मामले का असली विलेन ना तो आरजेडी है और ना ही कोई और बल्कि असली विलेन को कांग्रेस पार्टी है जिसने खुद को आगे रखने के लिए गठबंधन के दूसरों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. अपने आगे दूसरों को कुछ नहीं समझा और उसी का नतीजा है नीतीश कुमार की ये लेटेस्ट पलटी.
Nitish Kumar के अलग होने वजह कांग्रेस को बताया
जदयू के नेता केसी त्यागी ने एक बयान दिया है, उसमें उन्होने साफ बता दिया कि नीतीश के अलग होने के पीछे ना लालू हैं, ना तेजस्वी हैं, ना महागठबंधन है, बल्कि सारी गलती सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की रही है. केसी त्यागी ने कहा था कि कांग्रेस इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व चुराना चाहते थे.19 दिसंबर को हुई बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया गया था,इसलिए इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व को हथियाना के लिए साजिश रची गई थी.अब इस बयान से एक बात तो साफ समझ आ रही है कि नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर कांग्रेस के सामने झुकने को तैयार नहीं थे.इसके ऊपर जिस तरह से मल्लिकार्जुन खड़गे को इंडिया गठबंधन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया तो वह नीतीश को बिल्कुल रास नहीं आया.इस इंडिया गठबंधन को खड़ा करने का काम नीतीश कुमार ने किया था.उन्होंने बिहार से दिल्ली के नीतीश कई चक्कर लगाए थे. कभी सीएम केजरीवाल से मुलाकात कर रहे थे, कभी सोनिया से समय मांग रहे थे.
पीएम पद के लिए नीतीश कुमार की थी मंशा
कांग्रेस की, देश की वो पार्टी जो बीते कुछ सालों में राष्ट्रीय स्तर पर काफी कमजोर हो चुकी है. कई चुनावी हारों ने इस पार्टी के एक जमाने में रहे मजबूत संगठन को जंग लगा दी है,लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस हाईकमान खुद को कमतर आंकने को तैयारी नहीं. वह किसी के साथ भी समझौता नहीं कर पा रही है. इसी वजह से इंडिया गठबंधन के बन जाने के बाद भी बंगाल में सीट शेयरिंग फेल हो चुकी है .यूपी में सहमति नहीं बन पा रही है.पंजाब में आम आदमी पार्टी अकेली जा रही है और अब बिहार में तो सबसे बड़ा सियासी खेला हुआ है.
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कांग्रेस को भी एक तरह का समर्थन नीतीश कुमार से ही मिल रहा था.जब-जब कांग्रेस के बिना गठबंधन की बात हुई, सबसे पहले काउंटर नीतीश ने ही किया. इसी वजह से जब इतनी मेहनत के बाद भी हाथ में कुछ नहीं आया,तो नीतीश नाराज हुए. उन्हें धोखा लगा.यह सच है कि सामने से उन्होने किसी पद की मांग नहीं की लेकिन यह भी सच है कि उनके सपने बड़े थे.पीएम पद के लिए उनका नाम जेडीयू द्वारा लगातार लिया जा रहा था.संयोजक बनाने को लेकर तो डील फाइनल ही हो गई थी लेकिन ऐन वक्त पर जिस तरह से सभी ने खड़गे का साथ दिया, नीतीश नाराज हुए और अब ये सियासी खेला हो गया.