Sunday, June 8, 2025

विदेश जाने की चाहत में दो युवकों ने गंवाए 31 लाख, कागज़ निकला फर्जी

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कागज के उस टुकड़े की कीमत किसी रद्दी से भी कम रही होगी, लेकिन उसको खरीदने के लिए दो युवकों ने ₹3100000 लाख खर्च दिए. वहीं, जब इस पूरे खेल का खुलासा हुआ, तो दिल्‍ली एयरपोर्ट पुलिस की दौड़ पंजाब से गुजरात तक लग गई. इस मामले में एयरपोर्ट पुलिस ने अब गुजरात मूल के कमलकांत सुरेशबाबू झा नामक एक युवक को गिरफ्तार किया है. इस मामले तीन गिरफ्तारियां पहले भी हो चुकी है.

दरअसल, इस मामले की शुरूआत 20-21 मई की रात दिल्‍ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से हुई. इसी रात, पंजाब के होशियारपुर शहर में रहने वाले तरनवीर सिंह और गगनदीप सिंह दोहा के रास्‍ते रोम (इटली) जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचे थे. इमिग्रेशन जांच के दौरान इन दोनों युवकों के पासपोर्ट पर लगे शेंगेन वीजा को फर्जी पाया गया. जिसके बाद, दोनों युवकों को हिरासत में लेकर आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया गया.

अहमदाबाद के वीएफएस ऑफिस में हुई थी मुलाकात
एडिशनल कमिश्‍नर ऑफ पुलिस (आईजीआई एयरपोर्ट) उषा रंगनानी के अनुसार, पूछताछ में दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्‍होंने इस फर्जी शेंगेन वीजा के लिए 31 लाख रुपए खर्च किए थे. ये फर्जी वीजा उन्‍हें कमलकांत सुरेशबाबू झा नामक एक एजेंट ने उपलब्‍ध कराया था. दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि कमलकांत से उनकी मुलाकात अहमदाबाद के वीएफएस ऑफिस में हुई थी. कमलकांत ने ही स्‍वीडन के वीजा के लिए उनका बायोमेट्रिक रजिस्‍ट्रेशन और डाक्‍यूमेंटेशन कराया था.

पूछताछ में खुलासा हुआ कि वीजा अप्‍लीकेशन रिजेक्‍ट होने पर कमलकांत ने ही उन्‍हें फर्जी स्‍वीडन का वीजा उपलब्‍ध कराया था. यही फर्जी वीजा एयरपोर्ट पर पकड़े गए और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस खुलासे के बाद पुलिस ने कमलकांत की तलाश में गुजरात के कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त से बचने में सफल रहा. आखिर में, आरोपी कमलकांत को दिल्‍ली के एक ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया है.

पंजाब से गुजरात तक फैले थे साजिश के तार
पूछताछ के दौरान, 22 वर्षीय कमलकांत ने बताया कि उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और उसके पास ग्राफिक डिजाइन में डिप्लोमा है. कुछ साल पहले उसकी मुलाकात पंजाब मूल के एजेंट लल्ली उर्फ रविंदर सिंह से हुई थी. एजेंट लल्ली ने उसे विदेश यात्रा के लिए जाली वीजा डॉक्‍यूमेंट की व्यवस्था करने के लिए कहा. इस काम के एवज में ₹15 लाख की पेशकश की गई. उसने बताया कि एजेंट अभिनेश सक्सेना से रकम मिलने के बाद उसने अन्य एजेंटों की मदद से फर्जी स्वीडन वीजा की व्यवस्था की और जाली वीजा को उनके पासपोर्ट में चिपकाने के बाद उन्हें यात्रियों तक पहुंचा दिया.

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